रविवार, 16 अगस्त 2015

सुर-२२८ : "नहीं वो असुर फिर भी... बदल गये राग़... बदल गये सुर...!!!"




सुन लो
सब कान खोलकर...

हम तो
लिव-इन में रहेंगे
शादी नहीं करेंगे
आप लोगों की तरह
मन को मार कर न जियेंगे

सन्न रह गये
घर के बडे बूढ़े सभी
जो सोचना भी नामुमकिन था
वही सुन रहे थे
जो न किया कभी खुद 
वही अपनी ही संतानों को 
करते हुये देख रहे थे 
ये कैसी आधुनिकता सोच रहे थे ???
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मित्रों...,

कभी-कभी हकीकत कितनी तल्ख और बोझिल होती हैं न जो न उगलते बनती न निगलते पर हम समाज में रहते-रहते अभिनय में इतने पारंगत हो जाते कि वास्तविक मनोदशा को छिपाकर समयोचित मर्यादित व्यवहार करते पर, कभी-कभी लगता इस संयमी औपचारिक और छद्म आवरण से तो मुंहफट होना या खरी-खरी बोलना अधिक उचित हैं... पर, साले ये संस्कार ये परवरिश ये शिक्षा मुंह पर ताला जड़ देती और जुबान टेप रिकॉर्डर की तरह घिसे-पिटे अनेक बार दोहराये जवाब बोल देती कमबख्त जिनकी रील भी तो कभी नहीं टूटती... उसी बिन चाबी के ताले की तरह.... जिसकी चाबी हमारे पूर्वजों ने न जाने किस दरिया में फेंक दी कि कभी मिली नहीं और हमसे वो कभी टुटा नहीं... इस मामले में ये नई पीढ़ी बढ़िया हैं नहीं मानती किसी भी लादे गये नियमों पुरातन परिपाटी और एक्सपायरी डेट पार किये हुये रीति-रिवाजों को वो तो जो मन करता वही करते फिर चाहे प्रेम हो या सेक्स उनके पास सदैव my life my choice का weapon होता हैं जिससे वे ऊँगली उठाने वाले का हाथ या उनके खिलाफ बोलने वाले की जुबान काट लेते हैं... उनके अपने लॉजिक हैं वो एक बार ही मिलने वाली जिंदगी को बेकार की रवायतों की भेंट चढाने हरगिज़ तैयार नहीं... तभी तो जो रोकते टोकते हैं ये उनको ही घर से निकाल देते या फिर खुद ही घर से निकल जाते पर किसी भी हाल में खुद को बलि का बकरा / बकरी बनाने तैयार नहीं तभी तो गढ़ लिये अपना जीवन अपनी ही तरह से जीने के एकदम नये बोले तो 'लेटेस्ट मंत्र'... कोई बुरा माने या चिल्लाये उनकी बला से वो तो कानों में इयर फोन लगाये मस्त हैं अपनी ओपन दुनिया में अपने उसूलों के साथ... सही गलत का आकलन लगाने वाले बकते रहे जो भी बकना हैं या लिख दे जो लिखना हैं... उनको की फरक पेंदा हैं.... मस्तराम तो मस्त हैं मस्ती में गर, आग लगी हैं तो लगी रहे बस्ती में... सब जले तो साथ उनके जल जायेंगे वरना वो तो उन्हें देख देखर जल भुनकर ख़ाक हो ही रहे हैं... क्या नहीं... :p  ???
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१६ अगस्त २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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