रविवार, 9 अगस्त 2015

सुर-२२१ : "अगस्त क्रांति दिवस आया... आज़ादी की सौगात लाया...!!!"

सहते-सहते
गुलामी की त्रासदी
दम तोड़ने लगी
जब देश की आबादी
तब लेकर मशाल
आगे आये ‘महात्मा गाँधी’
देशभक्त भी उभरे
बनकर क्रांति की भीषण आंधी
भगाकर अंग्रेजों को
लिखी खून से आज़ादी की कहानी
हर दिवस ख़ास
दोहरा उसे याद हैं दिलानी
हमारे शहीदों की वो अमर कुर्बानी
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मित्रों...,

जितनी लंबी गुलामी की दास्ताँ हैं उससे भी अधिक लंबी उन शहीदों की फ़ेहरिस्त हैं जिन्होंने ‘आज़ादी’ के लक्ष्य को पाने के लिये अपनी जान गंवा दी ताकि उनकी आगे आने वाली पीढ़ियों को वो बेइंतेहा दुःख-दर्द और अपरिमित तकलीफ़ न झेलनी पड़े जिसे उनको सहना पड़ा भले ही हम गिने-चुने शीर्ष क्रांतिकारियों को ही इसका श्रेय देते हो लेकिन अनगिनत ऐसे हैं जो ख़ामोशी से भारत माता को परतन्त्रता की बेड़ियों से छुड़ाने की खातिर अपनी जान पर खेल गये और उनकी ही बदौलत नेता लोग अपने आंदोलन को सफ़लता का सेहरा पहना सके और जब ९ अगस्त १९४२ को मुंबई के एक पार्क में भारतीय जनता के प्रिय नेता जिन्हें सब लोग प्रेम से ‘बापू’ कहते थे ने अपने बच्चों को अंतिम क्रांति जिसे कि उन्होंने ‘भारत छोडो आंदोलन’ का नाम दिया था के लिये पुकारा तो सब एक साथ उनके पीछे चल पड़े और ये उन सबका अपने क्रांतिवीरों के साथ सम्मिलित रूप से न केवल अंतिम प्रयास था बल्कि इतना जोरदार कि इसने अंग्रजों को देश की बागड़ोर देशवासियों के हाथों सौंपकर उसे छोड़कर जाने को मजबूर कर दिया क्योंकि ये अंग्रेजी शासकों की कैदगाह के सख्त दरवाजे पर सभी देशभक्तों का समवेत प्रहार था तो फिर उसके मजबूत तालों को तो टूटना ही था वैसे भी उससे पूर्व के शहीदों द्वारा लगातार किये गये आघात से वो कमजोर हो ही चुके थे और केवल किसी ऐसी ही शक्तिशाली चोट का इंतजार कर रहे थे तो इस आंदोलन ने वो काम कर दिया जिससे उन्होंने अंग्रजों के चंगुल में जकड़ी अपनी भारतमाता को उस कारागार से मुक्त करा दिया तो ऐसे में हम सभी बाशिंदे जो उनके कर्जदार हैं उनकी शहादत को किस तरह से भूल सकते हैं तो आज ही के दिन शुरू की गयी उस क्रांति के जोरदार आहवान की सबको शुभकामनायें और उसमें शामिल सभी शहीदों के बलिदान को हम भूल न जाये तो आओ उनके प्रति कृतज्ञता जताये मिलकर शीश झुकाये... जिनके कारण हम ये दिन देख पाये... ‘अगस्त क्रांति दिवस’ इस तरह मनाये... :) :) :) !!!
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०९ अगस्त २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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