बुधवार, 26 अगस्त 2015

सुर-२३८ : "मानवता की पुजारी... 'मदर टेरेसा' सी महान नारी...!!!"



‘इंसानियत’
बसती जिस दिल में
उसे लगते सब अपने
तोड़कर सरहद की दीवारें
वो तो आ जाता
सात समंदर कर पार
करने अपना काम
जिससे मिटे दूसरों का गम
न हो किसी आँख में कोई आंसू
बिखरे मुस्कराहट हरसू
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मित्रों...,

इस विशाल सृष्टि में भले ही कई अलग-अलग देश और उनमें रहने वाले अलग-अलग असंख्य लोग बसते हैं जिनके बीच सिर्फ़ मीलों की दूरी ही नहीं बल्कि अजनबियत की भी अदृशय दीवार हैं उसके बावजूद भी सबके सीने में एक बड़ा कोमल संवेदनशील हृदय होता जो एक-दूसरे की  भाषा की भिन्नता के परे जाकर केवल मौन के सहारे ही बात कर लेता हैं और किसी के भो दर्द से बहते हुये आंसुओं को देखकर अनजाने ही उसके अश्क भी जाकर उसमें ऐसे ही मिल जाते हैं जैसे कि बड़ी दूर से आने वाले नदियाँ जाकर सागर में मिल जाती हैं तभी तो कोई ऐसा जिससे हमारा कोई भी नाता नहीं वो एकदम से हमारा अपना बन जाता हैं और हमारे सुख-दुःख में इस तरह भागीदार बन जाता हैं जैसे कि उससे हमारा कोई जन्मों-जन्मों का नाता हैं क्योंकि इस जग में ‘मानवीयता’ का रिश्ता एक ऐसा अनमोल बंधन हैं जिससे आकाश के समान फैली इस विशालतम दुनिया में हर कोई एक-दूजे से जुड़ा हुआ हैं

ये ओर बात हैं कि हर कोई इस पवित्र नाते को न तो महसूस कर पाता हैं और न ही इसकी शिद्दत का उसे अहसास ही होता हैं इसलिये तो सबको हर किसी का दुःख-दर्द द्रवित नहीं कर पाता जबकि कोई तो अपना पूरा जीवन ही सिर्फ़ मानवीयता की अथक सेवा करने में ही गुजर देता और अपनी अंतिम साँस भी किसी की खुशियों के लिये बेहिचक त्यागने को तैयार रहता और ऐसे में जब कोई परदेसी अपने वतन को छोड़कर किसी दूसरे के देश में आकर अजनबियों के बीच रहकर अपनी सारी जिंदगी उनका जीवन संवारने में होम कर देता तो फिर उसके इस त्याग-समर्पण को बिसरा देना कृतध्नता के सिवा और क्या कहलायेगा तो आज ऐसी ही एक महान आत्मा ‘मदर टेरेसा’ की जयंती हैं जिसे हम सबने ममतामयी स्नेह की जीती—जागती मूर्ति के रूप जाना तो उसी जगत जननी को उनके जन्मदिवस पर मन से नमन और शब्दांजलि... ये हम सबकी खुशकिस्मती हैं कि हम सबको उस परोपकारी विभूति के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ और हमने अपनी आखों से उनकी तपस्या को देखा जिसे आगे आने वाली सदी शायद, कोई मिथक कहकर विश्वास ही न करें... क्योंकि तब तो इस तरह का कोई सच्चा समाज सेवक मिल पाना दुर्लभ ही होगा... ऐसी पवित्र परोपकारी आत्मा को हृदय तल से अनंत शुभकामनायें... :) :) :) !!!            
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२६ अगस्त २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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