गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

सुर-३४३ : "चिंतन --- ये कैसा न्याय ???"

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मित्रों...,


जब से न्यूज़ चैनल पर ये खबर देखी मन विचलित हो गया कि इस आधुनिक समाज में किस तरह का वहशी खेल खेला गया वो भी उस अहसास के विरुद्ध जिसे भगवन का दर्जा दिया जाया हैं और पवित्र पूजा के समकक्ष रखा जाता हैं... उसे ही कलंकित कर दिया क्यों...???
  
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'प्यार' को
गुनाह बताकर
एक लड़की को
खाप पंचायत में
घिनौनी सज़ा सुनाई गई
सरे आम लड़कों से
इज्जत उसकी लुटवाई गई
परंपरा के नाम पर
धज्जियां उसकी उड़वाई गई
उसे क्या पता था ?
कि प्यार करना नहीं
बल्कि,
औरत का ज़िस्म पाना
उसका सबसे बड़ा कुसूर था ।।
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कोई माने या माने मगर, हकीकत यही हैं कि अपराध का ठीकरा भले ही उस बेकुसूर लडकी के सर फोड़ा गया लेकिन गुनाह से तो उन दरिंदों ने अपने हाथों को गंदा किया उनको सज़ा कौन देगा ? जो खुद को समाज एवं धर्म का ठेकेदार बता ‘मानवीयता’ को शर्मसार करते हैं... :( :( :( !!!
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०९ दिसंबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री

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