गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

सुर-३६५ : "करो स्वागत नये साल का जला पवित्र ज्योति...!!!"

टिक... टिक...
चलती जा रही
पल-पल घड़ी की सुइयां
चंद पलों में ही
बदल जायेगा ये साल
लायेगा खुशियों की सौगात
पर, न जाना भूल
उन्हें न फिर से दोहराना
हुई जो भी इस बरस गलतियाँ  
याद रखना तो
केवल इतना ही कि
फिर न लौटकर आती कभी
गुजर गयी जो भी बीती घड़ियाँ ॥
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मित्रों...,

अंग्रेजी कैलंडर का एक साल बीता जा रहा देकर यादों का पिटारा लेकर बुरी यादों का झमेला तो फिर दिल से निकाल दो सभी कड़वी बातें याद रखो सिर्फ़ मिठास भरी प्यारी-प्यारी बातें जो मिटा दे सभी जेहनी खटास जो पैदा कर सकती आने वाले साल के दिनों में भी कड़वाहट भले ही न मनाओ जश्न जो पल भर को तो दूर कर दे दुनियावी झंझटों से और जब उतरे मदहोशी तो घेर ले अवसाद की घनी परतें जिसके आगे धुंधली पड़ जाये भविष्य की झलकियाँ बल्कि हो सके तो परिवर्तन के इन पलों को बिताओं अध्यात्मिक तरंगों के साये में शांति के साथ जहाँ हो केवल आप और आपका साफ-सुथरा अंतर्मन जिसके पटल पर एक-एक कर उभर सके सभी गुज़रे दिनों के चित्र जिन्हें देखकर आप कर सको उनका सटीक आकलन और जो भी हो नापसंद या दुखद तो उसे विस्मृत के खाने में डाल दो और जो भी हो सुखद उसे यादगार बनाकर दिल में रख लो...

जब खत्म हो जाये सारे चित्रों का आना-जाना तो फिर जोड़कर हाथ स्वागत करो नूतन वर्ष का जलाकर पवित्र दीप ज्योत जिससे रोशन हो जाये आने वाले लम्हें जो अंदर-बाहर को प्रकाशित कर आपको सकारात्मक ऊर्जा से भर दे तो इस तरह से जब करोगे जब आगाज़ नये साल का तो फिर किस तरह से न वो न बनेगा ज़ोरदार... तो सब मिलकर दीप ज्योति जलाकर करते हैं नये साल का प्रारंभ... और जाते साल को विदा... :) :) :) !!!        
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३१ दिसंबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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