मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

सुर-३६३ : "राजेश खन्ना सा सुपर स्टार... फिर न आया ऐसा कलाकार...!!!"


सिने जगत
हुआ अचंभित
देखे जब अदाओं के
लटके-झटके
हो गया गिरफ़्त
हर देखने वाला उसको
रजत पर्दे पर आया
पहली बार अभिनेता ऐसा
देखा न था कोई जैसा
राजेश खन्नाके
अभिनय ने किया कमाल
फिल्म दर फिल्म हुआ धमाल
भूला न सकता कोई
उसपर सितारा वो बेमिसाल ॥
---------------------------------●●●      

___//\\___

मित्रों...,

जिंदगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम
वो फिर नहीं आते....

एक कडवी हकीकत जिसे फ़िल्मी पर्दे पर अपने अभिनय से साकार करने वाला कलाकार भी जब आज ही के दिन हम सबकी आँखों में अश्कों की नमी छोड़कर चला गया तो फिर लौटकर नहीं आया पर, उस पर फ़िल्माये सभी गीत उसके अभिनय से सजी सभी फ़िल्में उसको सदा के सदा के लिये अपने चाहने वालों के बीच उसकी धरोहर के रूप में न केवल सुरक्षित रहेगी बल्कि उसको भी सदैव जीवंत रखेगी जो हिंदी फ़िल्मी दुनिया का पहला सुपर स्टारकहलाने का दर्जा हासिल करने वाला एकमात्र कलाकार हैं कि उसके आगमन और एक के बाद एक सुपर हिट फिल्मों की श्रृंखला ने अपनी अलहदा अदाओं के साथ आकर्षक लटकों-झटकों ने कुछ ऐसा समां बाँधा कि उसके लिये सिताराशब्द छोटा महसूस होने लगा तो फिर उसके लिये ये शब्द गढ़ा गया जो अब भी अपने कहे जाने पर उसका ही चेहरा आँखों के सामने लाता भले ही उसके बाद उससे भी बड़े और महान कलाकार इस जगत में आये हो लेकिन पहला-पहला सुपर सितारातो हमेशा अपने ही स्थान में कायम रहेगा जिसकी जगह कोई नहीं ले सकता वाकई कला की दुनिया में कलाकार तो अनेक आते पर, सब अपनी ही तरह के और एक-दूसरे से जुदा होते तो ऐसे में सब अपने अंदाज़ से अपनी अलग जगह बनाते जिसे कोई दूसरा न ले सकता तभी तो इतने सारे अभिनेता-अभिनेत्रियों से भरी फ़िल्मी नगरी में हर दिन नये-नये अदाकार आते रहते तो जाते भी रहते मगर, जो होते बेमिसाल वो फ़िल्मी इतिहास में लिखते अपना एक अलग अध्याय जो बताता कि परिश्रम से किसी भी क्षेत्र में नाम कमाने के साथ-साथ अपना वर्चस्व भी बनाया जा सकता जो उसके जाने के बाद भी उसका नाम इस दुनिया में अमर करता केवल आपके अंदर वो काबिलियत होनी चाहिये कि आप अपनी अद्भुत प्रतिभा से इस दुनिया को अपना बना पाये तो फिर भले ही आप रहे न रहे आपके मुरीद ही आपको जिलायेंगे ।      

जिंदगी का सफ़र हैं ये कैसा सफर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं...

भले ही कोई इस जीं के इस सफ़र को न समझे और न जाने लेकिन हर किसी को वो चाहे या न चाहे इस सफ़र से गुजरना ही पड़ता पर, जो इसे हंसी-ख़ुशी से पूरा करता उसे न तो जीवन और न ही किसी और से ही कोई गिला-शिकवा होता कभी-कभी फिल्मों के ये गीत जीवन के कठिन फलसफे को बड़े आसान लफ्जों में बयाँ कर जाते और उसको अभिनीत करने वाले भी गज़ब तरीके से निभाते कि जब भी गाना सुने तो वही दृश्य आँखों के सामने गुजरने लगते उस पर राजेश खन्नापर फिल्माये गाने तो एक से बढ़कर एक जो आज भी सबके लब गुनगुनाते और आज भी न जाने कितने कदम थिरकते कि वो तो कभी सुनने वाले को झुमने पर तो कभी बैठकर सुनने को मजबूर कर देते शायद, तभी ये भी कहा जाता कि राजेश खन्नाको सुपर स्टार बनाने में जहाँ उनकी अदाओं का हाथ हैं तो वहीँ उन पर फिल्माए तरानों और उससे भी ज्यादा उनके गानों के लिये आवाज़ देने वाले हरफ़नमौला कलाकार किशोर कुमारका भी बड़ा योगदान हैं तभी तो अधिकतम गीतों पर इन दोनों कलाकारों की जुगलबंदी देखने में आती जहाँ पर्दे पर राजेशतो पर्दे के पीछे किशोरकी अदायगी दर्शकों व श्रोताओं दोनों को दीवाना बना लेते और आज भी बना रहे जबकि दोनों ही इस दुनिया से जा चुके लेकिन उनका खज़ाना तो हमारे पास ही हैं ।

जिंदगी कैसी हैं पहेली हाय...
कभी तो हंसाये कभी ये रुलाये...

सचमुच... जीवन की पहेली को कौन सुलझा सका भला वो तो रोज ही सबको अपने चक्कर में उलझा लेती जिसका हल खोजते-खोजते जिंदगी ही गुजर जाती और यादें शेष रह जाती तो आज सुपर स्टार राजेश खन्नाकी भी उन सभी यादों को याद करते उनकी पुण्यतिथि पर उनको शब्दों की ये श्रद्धांजलि समर्पित करते हैं...

मौत तू एक कविता है
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको ।

डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुँचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन

जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको ।।

‘आनंद’ फिल्म में गुलज़ार साहब की लिखीं इन पंक्तियों के साथ ही इस शब्दांजली को विराम देती हूँ... :) :) :) !!! 
__________________________________________________
२९ दिसंबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
●--------------●------------●

कोई टिप्पणी नहीं: