बुधवार, 2 दिसंबर 2015

सुर-३३६ : "आँख की किरकिरी... क्यों बनी...???"


कल तक
जिससे प्यार था
चाहने का वादा था
साथ न छोड़ने का दावा था
सब कुछ एकाएक
खोखला बन जाता कि
जब दिल किसी और के नाम से
धड़कने लगता
कोई और उसे भाने लगता
तो ‘प्रेम की नदी’ भी
अपनी दिशा बदल
उस तरफ ही बहने लगती
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मित्रों...,
  
‘राजन’ ने जब से ‘ख़ुशी’ को देखा तब से ही उसका अपना दिल ही उसका न रह गया था उसे यकीन न आता था लेकिन वो हर दिन खुद को उसके घर या कॉलेज या जहाँ भी वो होती उसके आस-पास ही पाता तो उसकी दीवानगी का कुछ तो असर ‘ख़ुशी’ पर होना लज़िमी था कि वो भी तो उम्र के उसी दौर से गुजर थी फिर ‘राजन’ में ऐसी कोई कमी न थी कि उसे देखकर अनदेखा कर दिया जाये या उसकी आँखों में झलकती प्यार की खुशबू को महसूस ही न किया जाये तो वही हुआ जो अक्सर इस तरह हमउम्र खुबसूरत प्यार से ख़ाली और प्यार की तलाश के मारे आशिकों के साथ होता तो देखते-देखते उनका प्रेम परवान चढ़ने लगा जिसका आगाज़ जितना हसीन था अंजाम भी उस समय तो उतना ही खुबसूरत लग रहा था कि दोनों ने सबकी रजामंदी से शादी कर अपना घर बसा लिया क्योंकि तब तक ‘राजन’ एक टॉप की कंपनी में न सिर्फ जॉब हासिल कर चुका था बल्कि कंपनी की तरफ से उसे अमरीका जाने का शानदार ऑफर भी मिल गया था तो फिर इंकार की तो कोई वज़ह ही न दिखी परिवार वालों को तो बस, चट मंगनी पट ब्याह कर ‘राजन’ जल्द लौट के आने का झुनझुना ‘ख़ुशी’ के हाथ में थमा उड़कर परदेस चला गया और देश में उसके पीछे रह गयी ‘ख़ुशी’ जो ‘मोबाइल’ और ‘लैपटॉप’ के जरिये उससे राब्ता रखती इंतज़ार की घड़ियाँ गुज़ारती इस उम्मीद पर कि बस, पहली फुर्सत में ही उसका हंस परदेसी फिर उड़कर आयेगा और उसे भी अपने साथ उड़ाकर ले जायेगा

शुरुआत में सब कुछ ठीकठाक ही चल रहा था जितनी बेचैनी उसे होती उससे अधिक बेताबी उसने ‘राजन’ के व्यवहार में पायी थी तो उसे यकीन हो चला था कि वो उसके बिना अधिक दिन अकेला न रह पायेगा और हर संभव कोशिश कर उसको अपने पास लेने आयेगा मगर, धीरे-धीरे जब एक साल ही गुज़र गया पर, न तो वो आया न ही अब उसकी बातों में ही वो बेकरारी या चिंता झलकती जो उसके अकेलेपन का सबसे बड़ा संबल थी तो उसे चिंता होने लगी पहले-पहल तो उसने उसे अपने दिमाग की खलल समझ उड़ाया कि ये तो हो ही नहीं सकता वो गलत समझ रही वजह कोई और होगी तो उसने हर तरह से उससे पूछने की कोशिश की कि आखिर वो अब उसे उतना समय क्यों नहीं देता मगर, पहले वो जहाँ उसे उसे काम की अधिकता का बहाना बनाकर टालने की कोशिश करता पर, जब उसने उसे बिल्कुल ही हाशिये पर डाल दिया तो उसके जेहन में सोये शक के सांप ने फेन उठाना शुरू कर दिया जितना वो इस बात को हल्के में लेकर उड़ाने की कोशिश करती वो सांप उतनी ही तेजी से उसे डसता फिर जब ज़हर ज्यादा ही फ़ैल गया तो ‘राजन’ पर भी उसके छींटे पड़ने ही थे तो एक दिन वो झल्ला पड़ा कि आख़िर, अचानक ये काम इतना ज्यादा किस तरह से इतना बढ़ गया कि उसे बात करने की फुर्सत ही नहीं मिलती और जब भी वो उसके आने की बात पूछती तो चिढ़ जाता अब उसे बताना ही पड़ेगा कि वो कब आ रहा हैं क्योंकि अब तो उसके परिवार वाले और रिश्तेदार भी सवाल करने लगे हैं और चाचाजी ने तो कह दिया कि वो उससे मिलकर सही बात का पता लगाकर ही रहेंगे तो एक-दो दिन में वो उसके पास पहुँच जायेंगे बस, इतना सुनना था कि ‘राजन’ ने ये कहकर कि वो अब किसी और को चाहता हैं और उसके बिना जी नहीं सकता अंतिम वार कर ही दिया ‘ख़ुशी’ को समझ ही नहीं आया कि वो क्या कहे इस सदमे को झेल पाना उसके लिए मुश्किल था कि विरह ने उसे पहले ही कमजोर कर दिया था उस पर ये शोकिंग न्यूज़ वो तो बहिश ही हो गयी ।

जब कुछ होश में आई तो उसे समझ ही नहीं आया कि राजन किस तरह से ऐसा कर सकता हैं उसने उससे भी तो कहा था कि वो उसके बिना जी नहीं सकता और अब ये कोई और आ गयी जिसके प्रति भी उसकी वही फीलिंग कैसे हो सकती आख़िर वो किस तरह से उसके साथ धोखा कर सकता हैं... इस जैसे लोगों ने ही तो प्यार का नाम बदनाम किया हैं जिनके अहसास मौसम की तरह लडकियों को देख बदलते रहते ऐसे शख्स से प्यार करने वाले को कुछ भी हासिल नहीं हो सकता और उसने अपनी तरफ से ही उस पर धोखेधड़ी का इल्ज़ाम लगाते हुये तलाक का नोटिस भेज दिया तब उसके दिल को कुछ सुकून महसूस हुआ... :) :) :) !!!     
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०२ दिसंबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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