सोमवार, 28 दिसंबर 2015

सुर-३६२ : "चिंतन : क्या उसने मुझे ब्लॉक किया हैं ???"



हृदय की
वो नस जो लाती थी
संदेश उसके मुझ तक
मैंने उसे क्या ब्लॉक किया
उसने तो मेरे दिल को ही
जोर का आघात दिया ।।
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मित्रों...,

जिस तरह ‘मोबाइल’ या ‘कंप्यूटर’ पर किसी को ‘ब्लॉक’ कर देने पर फिर उसका कोई संदेश या पैगाम हम तक नहीं पहुंचता उसी तरह शायद, कुछ लोग अपनी देह की मशीन में भी किसी विशेष व्यक्ति की तरगों को अपने अंतर तक पहुंचने से रोक देते हैं या कहे कि उसे ‘ब्लॉक’ कर देते तो फिर अगला चाहे कितने भी जतन करें उसको कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन जो होते संवेदनशील वो अपनी बनाई हुई इस व्यवस्ता से स्वयं ही आहत हो जाते जिसका अंजाम सबको बड़े बुरे मे भुगतना पड़ता लेकिन आश्चर्य कि बहुतों को तो इस बात का अहसास तक नहीं होता कि उनके 'हार्ट ब्लॉकेज' की वजह सिर्फ़ प्राकृतिक या उनकी असावधानी नहीं बल्कि अपने द्वारा पैदा की गयी छेड़छाड़ होती जो अनजाने मे उनको ही क्षति पहुंचती हैं काश, हम समझ सकते कि हमारे बहुत से सवालों के जवाब तो हमारे आस-पास ही मौजूद ये और बात कि हमारी ही नज़र उस तक पहुंच नहीं पाती लेकिन गौर करें तो समझ सकते कि ‘तकनीक’ के साथ कदमताल करते अनायास ही हमने अपने आपको भी किसी ‘यंत्र’ मे तब्दील कर दिया हैं जिसका फिलहाल हमें अहसास नहीं लेकिन बहुत जल्द होगा जब किसी व्यक्ति के स्पर्श या किसी की संवेदना से नहीं बल्कि ‘गैजेट्स’ के ‘टच’ से ही हम चलायमान बनेंगे यानी कि किसी ‘रोबोट’ की तरह बन चुके होंगे एकदम संवेदनहीन किसी कृत्रिम  निर्देशों पर संचालित होने वाले ।

कुछ लोग इतने सक्षम होते कि वो अपने मष्तिष्क के उस हिस्से को निर्देशित कर देते जो उनके प्रिय की खबर उनका तक लाता या उसकी स्मृति में खो जाता कि अब वो उसके बारे में न तो सोचेगा और न ही उसके द्वारा याद किये जाने पर ही विचलित होगा तो फिर सामने वाला चाहे उसे कितना ही याद करें या रो-रोकर उसका नाम जपे या फिर पल-पल उसकी जुदाई मे बिन जल मीन की भांति तड़फे उसे तनिक भी फ़र्क नहीं पड़ता और अगला सोच-सोचकर बेहाल कि क्यों उस तक मेरी कोई फरियाद नहीं पहुंच रही या क्यों उसे मेरे बिना कोई तकलीफ नहीं हो रही या क्यों उसे मेरी कमी का अहसास नहीं हो रहा पर, लाख सोचने पर भी वो ये नहीं जान पाता कि अगले ने तो उसे अपने जीवन में ही ‘ब्लॉक’ कर दिया हैं जिसकी वजह से अब उसकी किसी भी क्रिया की कोई त्वरित प्रतिक्रिया उस तक नहीं पहुंच रही जबकि पहले तो बिना तार या बिना ‘मोबाइल’ या बिना ‘कंप्यूटर’ से ‘कनेक्ट’ हुए बिन भी उनके बीच हर तरह के संवेगों का बड़ी आसानी से आदान-प्रदान होता था लेकिन अब सारी तकनीक फेल क्यों ????

इतने सारे क्यों का जवाब भी उसके सवालों मे ही छिपा या उस आधुनिक तकनीक में जिसने उसे ये सुविधा दी कि जिसे वो न चाहे या जिसे नापसंद करे या जो उसे परेशान करे उससे छुटकारा पाने वो केवल एक विकल्प 'BLOCK' का चुनाव कर सकता जो उसी पल उसे उससे न सिर्फ़ निजात दिलाता बल्कि उसकी तमाम कोशिशों को भी रद्द कर देता ऐसे मे एक ही रास्ता बचता कि वो किसी फर्जी ‘प्रोफ़ाइल’ या ‘आई.डी.’ के माध्यम से उससे संपर्क करे पर, हकीकत मे इसे अमल मे लाना उतना आसान नहीं होता जितना कि ब्लॉक करना तो लोग उसे आसानी से अपना लेते हैं वाकई अब कुछ लोग मशीन बन चुके हैं... जिनका दिलो दिमाग उनकी मर्जी मुताबिक संचालित होता तभी तो वे बड़ी आसानी से जब जो चाहे करते किसी भी संवेदना से प्रभावित हुए बिना जबकि अगला तो उस अहसास से बाहर ही नहीं निकल पाता और अकेला ही तड़फता रह जाता तो ऐसे में ये मानना पड़ेगा कि यंत्रों के इस तकनीकी युग ने आदमी को किसी को भी भूलाने या किसी से भी मुंह मोड़ने या किसी को भी बीच राह में छोड़ आगे बढ़ जाने का हुनर भी सीखा दिया... पर, जिनको ये नहीं आया वो आज भी उतना ही परेशां नजर आते तो अब ये जान ले कि जिंदगी में ब्लॉक करने का विकल्प आ चूका हैं तो जबरन ही प्रतिबंधित क्षेत्र में दखलअंदाजी करने की गुस्ताखी न करें.. इस हकीकत को समझ खुद भी अपने भीतर ऐसा ही कुछ ईज़ाद करें... वरना, जीना मुश्किल हो जायेगा... क्या नहीं.... :) :) :) ???
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२८ दिसंबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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