गुरुवार, 17 मार्च 2016

सुर-४४२ : "लघुकथा : ‘चरित्र मापक यंत्र’ !!!"

दोस्तों...

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कॉलोनी के चौपाल पर रोज की तरह चुरकट बोले तो मुहल्ले के बदमाशों की टोली जमी हुई थी जो रात होते ही इसी तरह जमा हो इधर-उधर की बातें करते थे अभी वो फुलटू मस्ती के मूड में आये ही थे कि सामने से दौड़ता हुआ ‘राजू’ आया तो उसने दुखी होकर बताया कि य़ार, वो सामने वाली ‘रौशनी’ की शादी तय हो गयी अब मेरा क्या होगा कुछ करो न इससे पहले कि कोई जवाब देता, तुरंत ‘साहिल’ बोला तू भी न जाने किसके चक्कर में पड़ा हैं ये तो खुदा का शुक्र मना कि तू बच गया तुझे पता वो कितनी चालू हैं... जब देखो तब तो मोबाइल से चिपकी रहती आख़िर, बॉयफ्रेंड्स के सिवा किस से बात करती होगी तू ही बता कोई सहेली से भी इतनी बात करती हैं क्या... छोडो उसे... कौन-सी मुहल्ले की सारी लडकियाँ विदा हो गयी

उसकी बात सुनकर राजू चिढ़कर बोला, और तेरी वो ‘प्रिया’ तो जैसे सती सावित्री हैं जब देखो तब तो ऑनलाइन बनी रहती हमें सब पता वो ऑनलाइन रहकर क्या करती हैं हूँ.. छिछोरी कही की...

तभी ‘किशोर’ बोला तुम दोनों उन दोनों को छोडो और ‘शिवानी’ की तरफ ध्यान दो बेचारी के पास तो मोबाइल तक नहीं एकदम सही लडकी हैं बॉस, जिसने भी उसे पटा लिया उसकी तो समझो निकली पड़ी उसकी बात काटकर ‘मोहन’ बोला, ये आप किस गलतफहमी में हैं जनाब, वो तो इनकी भी उस्ताद बाथरूम में छिप-छिप कर मोबाइल चलाती सबने प्रश्नवाचक मुखमुद्रा से उसे देखा तो वो बोला, हमें सब पता देखा खिड़की से देख चुके कई बार आँख मारकर आगे जोड़ा  बेटा, तुम लोग के उस्ताद ऐसे ही नहीं बने तो अब हमारा गुरु मंतर ले लो और ‘दीपा’ के बारे में सोचो जो केवल तीज-त्यौहार पर नेट पैक डलवाती बाकी समय भी मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करती एकदम परफेक्ट लड़की पता, आज ही मोबाइल शॉप वाले ‘नितिन’ ने मुझे ये बात बताई ।              

अब तक चुप बैठा ‘चंदु’ भी बोल पड़ा, भैया इन सबको भूल जाओ जो भी मोबाइल चलाती उन सबका कोई न कोई लफड़ा रहता ही यही ‘दीपा’ जब मोबाइल चलाती तब ही तो अपने प्रोफाइल पिक बदलती रहती अब बोलो क्यों ??? हमें तो उसकी तलाश जो इन सब गेजेट्स से दूर हो क्योंकि इन्हें तो हम चला लेंगे वो तो बस, हमारे जीवन में आकर हमारा घर बसाये, उसे चलाये और आज के जमाने में हम उसे ही साफ़ चरित्र की लड़की बोलेंगे जो इन सब दंद-फंद से दूर हो... क्या बोलते हो... दोस्तों... तो सब एक साथ ठठाकर हंस पड़े... :) :) :) !!!   
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१७ मार्च २०१६
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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