बुधवार, 30 मार्च 2016

सुर-४५५ : "हिंदी सिने जगत की पटरानी... 'देविका रानी'...!!!"

दोस्तों...

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चमक उठा
रुपहला परदा
देख उसका सौंदर्य
मंत्रमुग्ध हुये दर्शक
देखकर उसका अभिनय
बनी ‘देविका रानी’
हिंदी सिनेमा की पटरानी
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उस दौर में जबकि हिंदी सिनेमा अभी अपने बाल्यकाल में ही था आगमन हुआ ‘देविका रानी’ का जिन्होंने आते ही सिनेमा की परिपाटी ही बदल दी क्योंकि उसके पहले जितनी भी अभिनेत्रियाँ आई वे सब अपने परिवेश एवं रहन-सहन के स्तर के साथ-साथ शिक्षा के मामले में भी कमजोर थी जबकि ‘देविका रानी’ तो एक मुकम्मल अदाकारा थी जो गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के खानदान से ताल्लुक रखती थी और जिसे कि उस जमाने में ‘ड्रीम गर्ल’ से लेकर ‘फर्स्ट लेडी ऑफ़ द इंडियन स्क्रीन’ का ख़िताब हासिल हुआ यहाँ तक कि देश के प्रधानमंत्री भी उनके अभिनय एवं हुस्न के दीवाने थे । हम सब उनको १९३६ में दादामुनि अशोक कुमार के साथ आई उनकी ‘अछूत कन्या’ फिल्म से भलीभांति जानते हैं और इसका गीत ‘मैं वन की चिड़िया बनकर, वन-वन डोलूं...’ तो मेरे ख्याल से हर किसी ने ही गुनगुनाया होगा तीस के दशक में बनी ये फिल्म उस समय की एक सामाजिक स्थितियों के अनुसार एक साहसिक कदम माना जाता हैं जिसकी कहानी में महात्मा गांधीजी के विचारों का प्रभाव स्पष्ट था और इस फिल्म ने बेहतरीन कथा के अलावा गीत-संगीत, कलाकार, फोटोग्राफी के साथ-साथ सहज स्वाभाविक अभिनय व सरल दिल को छू लेने वाले संवादों के जरिये लोकप्रियता के सभी स्थापित कीर्तिमान ध्वस्त कर दिये और सभी फनकारों को ले जाकर सीधे चोटी पर विराजमान कर दिया ।

यही वो फिल्म थी कि जिसे देखकर अपने समय के देश के प्रथम प्रधानमंत्री ‘श्री जवाहरलाल नेहरु’ ने किसी आम दर्शक की तरह उनके किसी प्रशसंक के समान ‘देविका रानी’ की तारीफ़ में अपने हाथों से एक भावनात्मक प्रशंसा पत्र लिखा और २५ अगस्त १९३६ को एक विशेष शो के दौरान कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्यों ने इस फिल्म को एक साथ देखा जिसमें नेहरु जी के अलावा सरदार वल्लभ भाई पटेल, आचार्य नरेंद्र देव तथा श्रीमती सरोजिनी नायडू शामिल थी इस तरह इस अभिनेत्री ने अपने व्यक्तित्व व कृतित्व से सिर्फ आम नागरिक ही नहीं बल्कि वरिष्ठ नेतागणों को भी प्रभावित किया । हिंदी सिने जगत में उनका पदार्पण भी किसी साधारण फिल्म से नहीं हुआ बल्कि १९३३ में ‘हिमांशु राय’ के लंदन स्थित इंडो-इंटरनेशनल टॉकीज बेनर के तले बनी अंग्रेजी फिल्म ‘कर्म’ से हुआ जिसे किसी भारतीय द्वारा निर्मित पहली अंग्रेजी सवाक फिल्म होने का गौरव हासिल हैं और यही वो फिल्म हैं जिसमें भारतीय सिनेमा का प्रथम किसिंग सीन भी फिल्माया गया और इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद लंदन के प्रमुख समाचार पत्रों में केवल इसी का जिक्र था और शानदार समीक्षायें भी प्रकाशित हुई ‘मोर्निग पोस्ट’ पेपर में लिखा गया कि, “इसमें जरा भी शक नहीं कि ‘कर्म’ की नायिका ‘देविका रानी’ स्वक फिल्मो की श्रेष्ठतम तारिकाओं में हैं” तो ‘द स्टार’ ने एक कदम आगे बढ़ाकर लिखा,”जाकर मिस देविका रानी द्वारा बोली गयी अंग्रेजी सुनिये, आपको न तो इससे बेहतर आवाज़ सुनने को मिलेगी और न इससे बेहतर चेहरा देखने को मिलेगा, देविका रानी का बेमिसाल सौंदर्य लंदन को चकाचौंध कर देगा” ।

जब आप इनके बारे में जानते तो पता लगता कि आज की अभिनेत्रियाँ जो काम इतनी सुविधाओं और अकूत कमाई के बावजूद भी बमुश्किल कर पा रही वो उन्होंने उस दौर में बड़ी सहजता से किया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अभिनेत्री होने का गौरव हासिल किया जिसकी देश-विदेश में एक साथ जबर्दस्त तारीफ़ हुई अपनि पहली ही फिल्म ‘कर्म’ से उन्होंने सबको अपना दीवाना बना लिया था जब ये फिल्म भारत कोकिला सरोजिनी नायडू ने देखि तो जिस तरह से अपनी भावनाओं को शब्द दिये वो अपने आप में ही किसी सम्मान से कम नहीं उन्होंने कहां, “मैं ‘कर्म’ को एक साहसपूर्ण प्रयास ही नहीं बल्कि एक उल्लेखनीय उपलब्धि मानती हूँ, यह चित्र अपने आप में एक और निर्माता ‘हिमांशु राय’ के विलक्षण साहस, कल्पनाशीलता, धैर्य तथा सूझ-बूझ की प्रशस्ति हैं, वहीँ दूसरी और वह फिल्म की नायिका उस सुंदर तथा प्रतिभावान कृषकाय नारी ‘देविका रानी’ की प्रशस्ति हैं, जो नाटक के हृदयस्थल से रोमांस के जादुई फल के रूप में कुसमित होती प्रतीत होती हैं” ।

‘देविका रानी’ तो वो महानतम अभिनेत्री जिसे अपने देश से लेकर विदेश तक हर किसी ने सराहा और यही वजह कि वे उस दौर की मापदंड बन चुकी थी जिसके कारण समकालीन महिलायें आपसी फिकरेबाजी में एक-दुसरे को ये कहने से न चूकती कि , “तुम अपने आपको देविका रानी’ समझती हो क्या? अब आप ही कहिये जनाब कि इससे बड़ी किसी कलाकार की उपलब्धि क्या होगी कि वो जनमानस में इस कदर बैठ गयी कि लोगों को उनके सिवाय कोई दूसरा नजर न आता था उनकी सज-सज्जा, आपसी व्यवहार, बोल-चाल सब में ‘देविका रानी’ छाने लगी थी और हर महिला उनका अनुकरण करने लालयित रहती थी । उन्होंने अपने अभिनय के लिये लगभग सभी तरह के पुरस्कार प्राप्त किये यहाँ तक कि वे पहली अभिनेत्री थी जिन्हें फ़िल्मी दुनिया का सर्वोच्च समान पहला ‘दादा साहब फाल्के अवार्ड’ प्राप्त होने के अलावा पद्मश्री अलंकरण भी प्राप्त हुआ साथ ही अनेकों छोटे-बड़े ख़िताब हासिल हुये तो आज देश की उसी ख्यातनाम हस्ती को उनके जन्मदिवस पर अनेकानेक शुभकामनायें... :) :) :) !!!               
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३० मार्च २०१६
© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री
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