शुक्रवार, 25 मार्च 2016

सुर-४५० : "पवित्र शुक्रवार... संग भाई दूज की बहार...!!!"

दोस्तों...

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आज प्रभु पुत्र ईसा मसीहका बलिदान दिवसजिसे कि सारी दुनिया में गुड फ्राइडेया पवित्र शुक्रवारके रूप में मनाया जाता हैं... यीशुजिन्होंने ऐसे समय में इस धरती पर अवतार लिया जबकि चारों तरफ अधर्म और अत्याचार का साम्राज्य था तो उसे समाप्त कर देश और दुनिया में धर्म की ध्वजा फहराने और अपने ईश्वर का संदेश हम सब तक पहुंचाने के लिये और अपना वादा निभाने के लिये कि जब-जब भी धर्म की हानि होगी तो उसका उत्थान करने प्रभु स्वयं आयेंगे या अपनी किसी दूत को भेजेंगे जो उनकी अमर वाणीजिसे कि हम विस्मृत कर समय की धारा में बहने लगते हैं उसे पुनः हम सबको याद दिलायेंगे और इसी पुनीत काज को पूर्ण करने वो हम सबके बीच आये लेकिन जैसा कि होता हैं.... जो लोग हिंसा का सहारा लेते हैं या पाप में लिप्त होते हैं उनको ये रास नहीं आता और वो किसी न किसी तरह धर्मपुत्र का नाश कर अपनी सत्ता कायम रखना चाहते हैं अतः षडयंत्र रचाते रहते हैं जिससे कि उनका अनाचार का कारोबार यथावत चलता रहे यही तो उस वक़्त वो लोग भी चाहते थे जिन्हें कि यीशुका आगमन जरा भी नहीं भाया और उन्होंने इस तरह से उनके खिलाफ़ जाल बिछाया कि लोगों ने उनको ही अधर्मी ठहराकर सजा का हकदार बताया... जिसकी वजह से उस प्रभु-पुत्र को हर तरह के कष्ट सहते हुये अपने प्राणों का उत्सर्ग करना पड़ा उनके साथ अत्याचारियों ने बड़ा बुरा बर्ताव किया उन्हें काँटों का ताज पहनाकर क्रूसपर लटका दिया गया जिससे धरती व आकाश भी रुदन कर पड़े हर आँख नम हो गयी लेकिन धर्म की प्रतिष्ठा कायम रखने उस बेटे ने हर तरह के कष्ट को हंसते-हंसते सहन किया क्योंकि उसके पिता ने उसे खुद की बलि देकर भी लोगों में ये प्रचारित करने ही भेजा था कि चाहे कितना भी कष्ट हो, कितनी भी मुश्किल राह हो या जान पर ही क्यों न बन आये पर हमें किसी भी हाल में धर्म का पथरीला पथ छोड़कर पाप की चमकीली गलियों में कदम नहीं रखना चाहिये तभी तो भगवान अपनी संतान की ये कुर्बानी देखते रहे और उसी का परिणाम का भले ही वो अधर्मियों के हाथों मारे गये लेकिन अपने उद्देश्य में पूर्णतया सफल रहे ।

आज ही के दिन दो हजार साल पूर्व भी धर्म और जाति के नाम पर लोगों में विद्वेष फैलाकर नफरत का बीज बोया जा रहा था ऐसे में भगवान ने उनको भाईचारे और एकता का संदेश देने अपने प्रिय पुत्र को भेजा जिसने अपने प्राण न्यौछावर कर भी इंसानियत को मरने नहीं दिया... उन्होंने धर्म के नाम पर फैलाये जा रहे अंधविश्वासों का विरोध करते हुये उन सभी धर्म-पंडितों को पाखंडी और मानवता का शत्रु करार दिया जिससे कि सभी धर्म विरोधी उनके खिलाफ हो गये और उनके लिये मौत का फरमान जारी कर दिया जैसा कि आज भी यदा-कदा देखने में आता पर कोई भी उतने कष्ट भोगने की बजाय झूठ का सहज-सरल मार्ग ही अपनाता... और सोचता की बलिदान देने के लिये तो प्रभु पुत्र ही आयेगा जबकि जितने भी अवतारी हुये वो सभी यही संदेश देकर गये कि सबका मालिक एक और हम सब एक हैं सबके भीतर उस परमात्मा का ही अंश हैं कोई भी अलग नहीं लेकिन हमने सबके नाम के साथ अलग-अलग जातियों और धर्मों के ठप्पे लगा दिये और फिर सबकुछ भूलकर आपस में ही लड़ते-झगड़ते पर, ये पर्व, ये दिवस या जयंती जब आती तो हमें फिर से याद दिलाती कि ये वही भूमि, वही देश हैं जहाँ कभी भगवान स्वयं आये तो कभी अपने किसी दूत को भेजा और हम धीरे-धीरे उन बातों को भूल गये और सोच रहे कि फिर कोई आयेगा गर, हम इन सारे उपदेशों से ही शिक्षा ग्रहण कर ले तो देह में अमन और भाईचारा स्थापित हो जाये तो हमें सिर्फ इन दिनों को मनाकर औपचारिकता नहीं निभाना चाहिये बल्कि इसके पीछे के मकसद का स्मरण कर उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिये वरना ये सब महज रस्म अदायगी बनकर रह जाते और हम पुनः अपने काम में जुट जाते ।

आज पवित्र शुक्रवारके साथ बोनस के रूप में आने वाले ‘भाई दूज’ की सभी को हार्दिक शुभकामनायें... :) :) :) !!!
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२५ मार्च २०१६
© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री
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