शुक्रवार, 4 मार्च 2016

सुर-४२९ : "हर रूप में लगे प्यारी... सलाम तुझे ऐ नारी---०४ !!!"


दोस्तों...

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भाई-बहन
जैसे हो धरती-गगन
‘भाई’ अगर गगन-सा विशाल तो
‘बहन’ धरती-सी सहनशील
साथ न हो दोनों तो
दूजा लगे अधूरा एक के बिन
रेशम के धागों सी
मजबूत इनके रिश्तों की जोड़ी
इक बार जुड़े तो फिर
न जाये किसी से भी तोड़ी
भाई की नजरों से देखो तो समझो
आख़िर ‘बहन’ क्या होती
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नारी का एक रूप ‘बहन’ का भी होता जिसकी महत्ता अगर जाननी हो तो फिर भाई के सिवाय कोई भी न उसे समझा पाये क्योंकि उसके होने न होने का सीधा-सीधा असर उसके जीवन पर पड़ता वो भी तब जबकि उसे इस रिश्ते का अहसास होता जब वो किसी दूसरे के घर जाकर उसके साथ खेलती-कूदती, लड़ती-झगड़ती और नोंक-झोंक करने के साथ-साथ उसकी परवाह करती हुई वो आकृति देखता जिससे वो महरूम तो उस कमी को समझ पाता जो उसके बिन उसे बड़ी शिद्दत से महसूस होती कि उसके दोस्तों के पास तो एक साथी जो सदा उसके साथ रहता और उसे कभी कहीं छोडकर भी नहीं जाता जबकि दोस्त-यार तो घड़ी-दो घड़ी खेल-कूदकर या स्कूल के  चंद घंटे साथ बिताकर अपने-अपने घर चले जाते लेकिन बहन तो साये की तरह पास ही रहती जो भले ही उससे झगड़ा करती हो लेकिन जब कोई दूसरा उसके भाई को कुछ कहे या हाथ लगाये तो वही सबसे आगे खड़ी होती उसका बीच-बचाव करती और यदि मम्मी-पापा उससे नाराज़ हो या उसको सजा दे तो फिर वही होती जो छिप-छिपकर अपने भाई का ख्याल रखती और कभी जो नाराज़ हो जाये तो उसकी शिकायत कर उसे पिटवा भी देती याने भाई-बहिन का रिश्ता ऐसा अनोखा होता जिसमें अहसास के सभी रंग शामिल होते चाहे फिर वो स्नेह, ममता, या रूठने-मनाने और शिकवे-शिकायत का ही क्यों न हो समय अनुसार प्रदर्शित होता रहते जब भी दोनों का मिजाज जिस तरह का होता उस वक़्त उसी तरह का रंग सामने आता उनकी खट्टी-मीठी तकरार से तो घर का बोझिल वातावरण भी मस्ती से भरा रहता जहाँ कभी कोई किसी का कुछ सामान लेकर भाग रहा तो कोई किसी की कोई प्रिय चीज़ छुपा रहा तो कभी कोई किसी की कमज़ोरी हाथ में आने पर उसे माता-पिता का भय दिखाकर अपनी कोई बात मनवाने का प्रयास कर रहा याने कि दिन के चौबीस घंटे दोनों के प्यार का कोई नया ही पहलू सामने आ जाता जिसे देखकर उदास चेहरा भी खिल जाता

घर में ‘बहन’ का होना किसी भी भाई को लड़की के प्रति किसी तरह का व्यवहार किया जाये या उसके साथ किस तरह से रहना चाहिये का सबक सिखाता उसे थोड़ा-सा संवेदनशील और जिम्मेदार भी बनाता क्योंकि हमारे यहाँ तो वैसे भी भाई को चाहे वो छोटा हो या बड़ा बहन का संरक्षक या उसका पालक कहकर संबोधित किया जाता जो उसकी कलाई पर राखी बांधने के बदले उसकी रक्षा का वचन देता और जहाँ उसे लगे कि बहन का अकेले जाने सुरक्षित नहीं तो अपनी प्यारी बहनिया की ढाल बनकर उसके संग-संग जाता इस तरह वो अपने होने का फर्ज़ निभाता और बहन वो भी तो जब समझदार होती तो बहन के साथ-साथ माँ और दोस्त की भूमिका भी निभाने लगती और अपने भाई की परवाह करने के साथ-साथ उसके कमरे व सामान का भी ध्यान रखती ही यहाँ तक कि उसके सीक्रेट्स भी अपने दिल में छिपाकर रखती जो वो उसे अपना राजदार समझ कर बताता तभी तो भाई की जो बातें उनके पालकों को भी पता नहीं होती वो बहन जानती और किसे छिपाना, किसे बताना उसका निर्धारण भी स्वयं करती जिसके कारण उन दोनों का वो अनमोल रिश्ता धीरे-धीरे गहरा होता जाता और जब गुरते समय के साथ बहन की ससुराल जाने की बारी आती तो भाई उपर से भले अपने दर्द न दिखाये मगर, सबसे ज्यादा दर्द उसे ही होता कि जिसके साथ जीवन के इतने बरस साथ गुज़ारे उसका यूँ पराया हो जाना उसे बड़ा खलता लेकिन जमाने और समाज की रिवायत के आगे सर झुकता पर, जब उसे खबर हो कि उसकी बहन के ससुराल में उसको कोई परेशानी तो खुद आगे बढ़कर उसे अपने मजबूत कंधों का सहारा देता इस तरह सदा उसका साथ निभाता फिर रिश्तों का विस्तार होता तो ‘मामा’ बनकर भी अपनी बहन की संतानों को उतना ही प्यार देकर अपने बचपन के मजेदार किस्से सुना दोनों पीढ़ियों के अंतर को कम कर उनको आपस में जोड़ने हेतु स्मृतियों का मजबूत पुल बनता जिस पर चल वो बीते दिनों में पहुँच जाते ।

चंदा-सूरज सी इस जोड़ी को हम अपने आस-पास देखकर उनके मध्य के रिश्ते की गहराई का पता सिर्फ देखकर नहीं लगा सकते कि नोंक-झोंक से तो केवल उनकी शरारत झलकती लेकिन भीतर दिलों में सिर्फ एक-दूसरे के प्रति मुहब्बत पलती आज ‘हर रूप में लगे तू प्यारी... सलाम तुझे ऐ नारी’ श्रृंखला में ‘बहन’ के उसी ममतामयी स्वरूप की झांकी प्रस्तुत कर रहे जहाँ हर भाई अपनी बहना के लिये यही गाना गाता, “फूलों का तारों का सबका कहना हैं... एक हजारों में मेरी बहन हैं” तो सभी भाई जिनके पास बहन हैं उन्हें ये बताने कि जरूरत नहीं कि वो कितने खुशकिस्मत हैं लेकिन जिनके पास नहीं वो खुद को उदास न समझे कि यदि भगवान ने उसे इस रिश्ते से महरूम रखा तो फिर जरुर कोई विशेष बात होगी कि वो अब चुनकर अपनी पसंद से अपनी नई बहन बना सकता वो भी जितनी चाहे उतनी तो सभी बहन वाले भाइयों के साथ जिनकी बहन नहीं उनको भी ये मनोभावनायें समर्पित... :) :) :) !!!             
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०४ मार्च २०१६
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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