गुरुवार, 18 मई 2017

सुर-२०१७-१३८ : 'संग्रहालय' न होता अगर... अतीत के चिन्ह ढूंढते किधर...!!!


आज 'विश्व संग्रहालय दिवस' का मनाया जाना हमें अपने अतीत के उन गलियारों के दर्शन कराता जिन्हें हम बहुत पीछे छोड़ आए या जिनसे कभी हमारा गुज़रना ही नहीं हुआ ऐसे में इस दिवस का आना बड़ा सुखद प्रतीत होता कि इस बहाने हम उस गुज़रे वक़्त को पुनः स्मरण कर लेते जिसमें हमारा गौरावशाली इतिहास छिपा हुआ जो अब कुछ चिन्हों के रूप में वहां बंद पड़ा और तभी ये ख्याल आता कि यदि ये संग्रहालय न होते तो फिर हम किधर जाकर अपना वो गुज़रा जमाना देखते ये तो वो दर्पण हैं जिसमें हम अपने प्राचीन काल का दर्शन करते हैं...

संग्रहालयों की वजह से ही आज हम उस सभ्यता और संस्कृति का अध्ययन कर पाते हैं जिन्हें हमने देखा नहीं लेकिन फिर भी उस समय की यादगार को म्यूजियम में सहेजने से हमें उसे जानना आसान हो गया तो आज सारी दुनिया को अपने बीते युग को इस तरह संग्रहालय बनाकर समेटने और उस पर गर्व करने के लिए बहुत-बहुत बधाई... :) :) :) !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१८ मई २०१७

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