सोमवार, 29 मई 2017

सुर-२०१७-१४९ : लघुकथा : "बेचारे, शोषित लड़के" (आज का एक कड़वा सच) !!!


पुलिस थाने में सब परेशान थे एक अजीब प्रकरण जो आया था । एक जवान लड़का कह रहा था कि एक लड़की ने शादी का वादा कर दो साल तक मेरा यौन शोषण किया, मुझसे महंगे-महंगे गिफ्ट्स लिये और अब आज वो किसी दूसरे के साथ शादी करने जा रही हैं कृपया इस शादी को रोकने में मेरी मदद करो सब उसकी हंसी उड़ा रहे थे कि ये कैसे हो सकता ?

तब वो बोला, क्यों शोषण सिर्फ लड़के करते, लड़कियां नहीं करती क्या ? जब यही बात लड़की कहती तो आप मान लेते हो पर, हम लड़के बोले तो हंसी उड़ाते हो । जब एक लड़की हमारा फायदा उठाकर हमसे ज्यादा अमीर बंदे को पाकर हमें छोड़ देती हैं तो क्या हमाको तकलीफ नहीं होती या हमारा दिल नहीं टूटता तो ऐसे में क्या हमको शिकायत करने का हक़ नहीं ?

पुलिस अधिकारी बोला, हमें क्या पता तू सच बोल रहा या झूठ हो सकता उसे फंसा रहा हो तो वो तुरंत बोला, लड़की के मामले में तो आप ऐसा नहीं कहते आँख मूंदकर विश्वास करते फिर हमसे ऐसे प्रश्न क्यों ? आज लड़कियां किसी काम में लड़कों से पीछे नहीं तो इन क्षेत्र में भी अब वो हमको टक्कर देने आ गयी हैं और बुरी गत बना दी अपनी मोहक मुस्कान और अदाओं से हमें लूटकर पूरा कंगाल बना देती उस पर, शोषित भी वही कहलाती बेचारे हम तो बदनाम कि लफंगे होते तो हमको उसी की सजा भुगतनी पड़ती जबकि आजकल लड़कियां भी कम नहीं जहाँ फायदा देखती वहाँ अपना जाल बिछाती ।

पुलिस ऑफिसर बोला, ठीक हैं न इतने सालों तुम्हारे बड़े भाइयों ने उनके साथ गलत किया आज उनकी बारी आई तो वो भी वही कर रही उन्हें लगता मर्द जात ने उनकी कमजोरी का बहुत फायदा उठाया इसलिये अब वो उनका बदला ले रही हैं । मतलब आप कुछ नहीं करेंगे लड़का बोला तो थानेदार ने कहा, बेटा हम शिकायत लिख भी ले और उसके पास चले भी जाये लेकिन उसने पलटकर तुम पर ही बलात्कार का आरोप लगा दिया न तो कहीं के न रहोगे इसलिये चुपचाप जाओ और सोचो कि बच गये नहीं तो इसी थाने में कई बेकुसूर भी सजा भुगत रहे जिन्होंने कुछ नहीं किया पर, वो साबित न कर पाये क्योंकि लड़की का तो झूठ भी सच और आपके तो सुबूत भी झूठे इसलिये फिर कह रहा ईश्वर को धन्यवाद करो कि सस्ते छूट गये ।

इस हकीक़त को उसे स्वीकार करना पड़ा कि उसका दोस्त भी तो उसकी पत्नी द्वारा लगाये दहेज के झूठे इलज़ाम में सज़ा भुगत रहा जबकि पत्नी उसकी जायदाद पर ऐश कर रही याने कि अब वाकई लड़कियों के दिन फिर गये जिसकी मन्नत उन्होंने सदियों से मांगी थी पर, अफ़सोस कि अब भी शिकार बेकुसूर ही हो रहे और वो पलटकर चला गया ।

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२९ मई २०१७

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