बुधवार, 31 मई 2017

सुर-२०१७-१५१ : 'अंतराष्ट्रीय धूम्रपान निषेध दिवस' कहता बचना तंबाखू होता ये जानलेवा...!!!


आज संपूर्ण विश्व में धूम्रपान से होने वाले खतरों को रोकने के लिये 'तंबाखू निषेध दिवस' मनाया जा रहा हैं और लगभग पिछले 40 वर्षों से इसे मनाया जा रहा हैं इसके बावजूद भी इसमें कमी होने की बजाय बढ़ोतरी ही दिखाई दे रही हैं क्योंकि अब केवल पुरुष मात्र ही नहीं महिलायें भी इसकी आदी होती जा रही हैं जिसकी वजह इसमें मौज़ूद नशा भी होता हैं जो व्यक्ति के मस्तिष्क ही नहीं सारे शरीर को इस तरह से अपने वश में कर लेता हैं उसका खुद पर, नियंत्रण नहीं रहता जिसे अक्सर वो तनावरहित होने का माध्यम समझकर जब भी कभी इस तरह के माहौल में घिरता तो इसका सहारा लेता हैं और धीरे-धीरे इसका अभ्यस्त होता जाता हैं परंतु, इस क्षणिक इंद्रिय सुख या अवचेतन की अवस्था को परेशानियों का हल समझना उसकी भूल साबित होता कि ये उसके अंग-प्रत्यंग को जकड़कर उसे रोगग्रस्त बना देता तब मजे में लिये जाने वाले कश की कश्मकश में उलझकर उसे अहसास होता कि वास्तव में वो एक शिकार की तरह मौत के बिछाये जाल में फंस चुका हैं । ऐसे में सिवाय पछताने और अंतिम घड़ी गिनने के कोई विकल्प शेष नहीं रहता क्योंकि ये उसे किसी काबिल जो नहीं छोड़ता और अफ़सोस कि इसके ज्यादातर शिकार युवा होते जो फिल्म व तस्वीरों में नायक और मॉडल को सिगरेट के साथ स्टाइल मारते पोज़ देते दिखाई देते तो इस ग्लैमर से प्रभावित होकर वो अनजाने में पहले-पहल केवल शौक में इसका सेवन करता जिसका उसे पता तब चलता जब उसे उसकी लत लग जाती और वो इसके बिना खुद को कमजोर व असहाय समझता तब तक स्थिति काबू से बाहर हो जाती यही कारण कि इसके कारण मरने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा इसलिये विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया ।

इसे कारगर तरीके से क्रियान्वित करने के लिए प्रतिवर्ष अलग-अलग थीम पर इसका आयोजन किया जाता और इस साल का नारा हैं "विकास में बाधक तंबाखू उत्पाद" जिससे कि लोगों को ये बताकर कि इसका उपयोग करने वाला सफ़लता नहीं पाता इसके प्रति जागरूक बनाया जा सके । इसके अतिरिक्त अनेक कानून या नियम भी बनाये जाते परंतु उसके बाद भी इस देश में बड़े अजीब-गरीब नजारे देखने में आते जैसे कि...

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पीते लोग
बीड़ी-सिगरेट वहां
अक्सर,
धूम्रपान वर्जित
लिखा होता जहाँ
कि नियमों का उल्लंघन
देता असीम सुख
उड़ा माखोल व्यवस्था का
करते अट्टाहास
और जब खांसते-खांसते
पड़े होते एकाकी
किसी कोने में
जर्जर तन और बेबस मन लेकर
तब सुनाई देती कानों में
मौत की हंसी बन प्रतिध्वनि
दिलाती ये अहसास
कि कश-कश का वो मज़ा
आज बन गया सज़ा
कश्मकश में डोल रही साँस
लगने लगी गले की फ़ांस
धुंए में घुलकर जो होगी ख़ाक ।।
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हमारे यहाँ किसी भी कानून या नियम का पालन यदि उसी तरह से हो जैसे कि उसे बनाया गया तो वो प्रभावी भी हो लेकिन यहाँ तो बीड़ी-सिगरेट के पैकेट पर 'धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक, इससे कैंसर भी हो सकता हैं' जैसी चेतवानी लिखकर अपना फर्ज निभा दिया जाता जिसे बड़ी आसानी से नजरअंदाज़ कर के लोगों द्वारा इसे खरीदकर इसका सेवन किया जाता याने कि लोग खुद अपने हाथों से अपनी मौत खरीदते पर, उनको खबर ही नहीं वरना, इतने सालों से इस दिवस को मनाते-मनाते आज ये स्थिति होनी थी कि इसके मरीज नजर न आते ये पूर्णतया प्रतिबंधित होता पर, राजस्व की ख़ातिर सरकार भी केवल वैधानिक चेतवानी देकर अपने फर्ज से मुक्ति पा रही और उसे पढ़ने के बाद भी खरीदकर पीने वाले अपनी जर्जर देह से मुक्ति पा रहे ऐसे में इसकी सार्थकता स्वयमेव संदेह के घेरे में तो अब जिसको अपनी जान प्यारी वो खुद ही निर्णय ले कि उसे कश पर, कश लगा खांसते हुये मरना या पल-पल जीवन का आनंद लेना... इस सकारात्मक संदेश के साथ सबको इस दिन का यही पैग़ाम... :) :) :) !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

३१ मई २०१७

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