शुक्रवार, 5 मई 2017

सुर-२०१७-१२३ : हंसते-हंसाते कार्टून्स कहे गहरी बात... कार्टूनिस्ट बनाये ऐसे कि लक्ष्य बेधे बाण...!!!

साथियों... नमस्कार...


देश-दुनिया में इतनी सारी समस्यायें हैं, इतने सारे विवादित मुद्दे और इतने तनावयुक्त मामले कि यदि उनको हल्के-फुल्के ढंग से पेश न किया जाये तो न जाने कितने प्रसंगों की वजह से जंग छिड़ जाये या फिर तनाव इतना बढ़ जाये कि फिर उसे नियंत्रण में ले पाना कठिन हो इसके अतिरिक्त किसी भी गंभीर बात को हास्यमय तरीके से प्रस्तुत करने या उन पर कोई तीखा कटाक्ष करने से सत्तासीन हुक्मरानों को भी उसकी आड़ में छोड़ा गया तीर जाकर सीधे हृदयस्थल में जाकर लगता और वे उसके मर्म को समझ जनता के मन की बात और समसामयिक मुद्दों पर लोगों की प्रतिक्रिया को समझ पाते इस तरह से ‘कार्टून’ ऐसे चित्र या रेखांकन होते जिनके माध्यम से किसी भी विषय को बड़े ही सहज-सरल ढंग से अभिव्यक्त किया जाता यही वजह कि इसे भी एक पृथक पेशे के रूप में दर्जा दिया गया हैं और इसे चित्रित करने वाले ‘कार्टूनिस्ट’ के लिये अख़बार, पत्रिकाओं में अलग-से पोस्ट भी रखी जाती हैं और यदि कार्टूनिस्ट अपने काम में माहिर हो तो उसे मानदेय भी उसकी दक्षता के अनुसार दिया जाता यही वजह कि संपूर्ण विशव में आज का दिन इन कार्टूनिस्ट को ही समर्पित किया गया और ५ मई पूरी दुनिया में ‘वर्ल्ड कार्टूनिस्ट डे’ के रूप में मनाया जाता जो ये साबित करता कि इस विधा के महारथियों ने अपनी कलम से ऐसा कमाल किया कि इस जगत ने न केवल उसकी काबिलियत को स्वीकार किया बल्कि उसे झुककर सलाम किया और एक पूरा दिन उसके उस पूर्ण समर्पण से किये गये लोगों द्वारा सराहे गये कृतित्व को अर्पित किया कि उसकी कला को उसका हक़ व सम्मान प्राप्त हो क्योंकि कार्टून हमेशा सिर्फ हंसाते ही नहीं कभी-कभी किसी धर्म विशेष या संप्रदाय की भावना को चोट भी पहुँच देते तो आहत वर्ग के द्वारा उसकी जान पर खतरा मंडराता ऐसे में अपनी जान की परवाह किये बिना भी वो अपना कर्तव्य निभाता तो इस तरह इस दिन उसके इस जज्बे को भी श्रद्धांजलि देने का कार्य किया जाता...

कार्टूनिस्ट का काम आसान नहीं होता कि उसे महज़ चंद पंक्ति और रेखाओं के द्वारा ही अपनी बात को कहना होता जिससे कि उसमें छिपा हुआ बाण जाकर सीधा लक्ष्य पर लगे तो उसका बनाना भी सार्थक हो इसलिये जो भी इस काम में दक्ष होते अख़बार या पत्रिका वाले उसे हाथों-हाथ लेते और उन्हें पढ़ने वालों को भी उसमें छपे उन कार्टून्स का इंतजार रहता कुछ ऐसे ही विख्यात ‘कार्टूनिस्ट’ हमारे देश में भी हुये जिन्होंने अपने कार्टून्स के जरिये देश भर में हलचल पैदा की और उनकी प्रसिद्धि का आलम ऐसा था कि केवल उनके बनाये कार्टून को देखने के लिये ही लोग उस विशेष अख़बार या पत्रिका का इंतजार करते थे और उन्होंने अपने खुद के कुछ कार्टून कैरेक्टर भी निर्मित किये जो इतने लोकप्रिय हुये कि अब भी उनकी पहचान बने हुये जैसे कि आर. के. लक्ष्मण का ‘आम आदमी’, आबिद सुरती का ‘ढब्बू जी’ और प्राण के तो अनेक चरित्र हैं जैसे कि ‘चाचा चौधरी’, ‘रमन’,’ बिल्लू’, ‘पिंकी’, ‘चन्नी चाची’, ‘श्रीमतीजी’ आदि जिन्हें पढ़ने वालों की तादाद लाखों नहीं करोड़ो में होगी कि उन्होंने इन पात्रों को किसी आम व्यक्ति की तरह ही विकसित किया जिससे वो हर व्यक्ति से सीधे जुड़ सके तो इसका असर ये हुआ कि उनमें लोगों को अपने इर्द-गिर्द रने वाले लोग ही नजर आये और वे उनसे किसी दोस्त की तरह अटैच हो गये और फिर ये रिश्ता आजीवन बना रहा तो इस तरह से कार्टूनिस्ट का काम जो हमें सहज नजर आता हक़ीकत में मुश्किलों भरा कार्य भी होता कि उसकी किसी एक भी त्रुटि का उसे बहुत बड़ा खामियाज़ा भुगतना पड़ता जैसा कि हमने देखा कि एक कार्टूनिस्ट को उसके बनाये चित्र की वजह से कभी जान से मार डाला गया तो कभी केवल धमकी दी गयी तो कभी पकड़कर हवालात में बंद कर दिया गया कि उसकी चुभन को सामने वाला सहन न कर सका लेकिन इस तरह के हादसों ने उनके हौंसलों को टूटने न दिया यही वजह कि आज के दिन उन सबका ही स्मरण किया जाता...

संपूर्ण विश्व की बात करे तो ऐसे अनेक नाम सामने आयेंगे जिन्होंने एक कार्टूनिस्ट के तौर पर अभूतपूर्व ख्याति अर्जित की तो आज के दिन उन सबको ही उनके इस साहसपूर्वक किये गये कार्यों हेतु मन से नमन और सबको बहुत-बहुत शुभकामनायें कि वो इसी तरह कर्तव्य पथ पर यूँ ही लगन से आगे बढ़ते रहे और देश व् समाज को आईना दिखाते रहे... :) :) :) !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०५ मई २०१७

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