शनिवार, 20 मई 2017

सुर-२०१७-१४० : 'मासूमियत' न समझे नीयत...!!!


छोटी-सी
मासूम बच्ची
जब भी माँ कहती
कि जा, ले आ
पास की दुकान से
फलां सामान
तो हमेशा यही बोलती
मैं न जाउंगी माँ
बाहर कुत्तों से डर लगता माँ
सुनकर उसकी ये बात
हर बार, लगातार
माँ के मुंह से निकल ही गया
बेटी, कब तक ???
इनसे डरोगी
इनसे छुपोगी
इनसे बचोगी
ये कुत्ते तो सदा ही
तुम्हारे पीछे आयेंगे
तुम्हे परेशान किया करेंगे
समझ न सकी
बात का गूढ़ अर्थ तो
झट से बोली कि
तब तो माँ
मैं बड़ी हो जाऊंगी
अपने पैरों पर खड़ी हो जाऊंगी
तो इनका सामना कर पाऊँगी
सुनकर उसकी नादानी भरी
ये मासूम उक्ति
मुस्कुरा माँ बोली, बिटिया
इनसे तो फिर भी तुम
पीछा छुड़ा लोगी
मगर, जिनकी शक्ल पर
उनकी जात, उनकी नस्ल लिखी नहीं
उनको किस तरह पहचानोगी तुम ???

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२० मई २०१७

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