शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

सुर-२०१७-१९४ : 'बेबी सीटर' बन रही 'किलर'


जितनी तेजी से मंहगाई बढ़ी हैं उसी अनुपात में उससे निपटने पति-पत्नि समेत पूरे परिवार ने उससे निपटने आमदनी बढ़ाने की जिम्मेदारी अपने सर पर ली जिससे कि घर खर्च के साथ-साथ दूसरी जरूरतें भी पूरी की जा सकें जिसे अपनी इस कवायद से उन्होंने काफी हद तक अपने काबू में भी कर लिया पर कहते हैं न कि हर समाधान से कुछ समस्याएं भी तो पैदा होती हैं तो वही हुआ घर के सभी सदस्य जब कमाने घर से निकले या अपने परिवार को सीमित करने एकल परिवार का सहारा लिया गया दोनों ही स्थितियों में यदि नौनिहालों के पालन-पोषण संबंधी कुछ खर्चों से निजात मिली तो कुछ नये खर्चों में भी सूची में स्थान बना लिया क्योंकि जब सभी लोग कमायेंगे तो फिर इन नन्हे-मुन्नों की देखभाल कौन करेगा ???

सुरसा की तरह मुंह फाड़े इस मुश्किल का हल भी निकाला गया और बच्चों की देख रेख के लिये 'बेबी सिटर' बोले तो 'आया' नाम की एक नई सहयोगी को अपने परिवार का हिस्सा बना उसके हाथों में सौंप दिया वंश का चिराग या घर की लाज और फिर इससे अपराधियों के दिमाग में भी अपनी कमाई के नये विचार आये जिससे अपराध की एक सुरंग आपके ही हाथों आपके घर में खुल गयी जिसने अपराध करने के लिये आपके ही हाथों उसे मुख्य दरवाजे से न सिर्फ आमंत्रित किया बल्कि आगे बढ़कर उसका स्वागत भी किया और बड़ी बेफिक्री से उसके हाथों में सिर्फ अपने जिगर का टुकड़ा ही नहीं तमाम घर की चाबी भी हंसते हुए सौंप दी फिर वो हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी उनको आपके सामानों को अपनी तरह से इस्तेमाल करने की आज़ादी तो मिली ही साथ आपके बच्चों का निवाला हडपने के आईडिया भी दिमाग में आने लगे मतलब जिसके लिए अपने घर की दहलीज़ पार की और एक अजनबी को उसी देहरी को लांघकर अंदर आने दिया उसने ही आपकी उस दौलत को हडप लिया उफ्फ्फ ये क्या हो गया... और क्या-क्या हो रहा घर की चारदीवारी के भीतर जहाँ आप खुद ही एक चोर को तिजोरी सौंप आये और चोर या चोरनी भी ऐसे कि उन्हें खुद आपने ही न्यौता दिया ।

देश के छोटे-बड़े शहरों में इस तरह के बेबी सिटर द्वारा लगातार की जाने वाली अपराधिक घटनाओं ने सोचने मजबूर कर दिया कि हम कहीं कोई गलती तो नहीं कर रहे अपनी मनमानी के लिए अपनों की ही जान के दुश्मन तो नहीं बन रहे खुद अपने ही हाथों अपने घर को आग तो नहीं लगा रहे यदि ऐसा हैं तो सम्भल जाये क्योंकि जिसके लिये आप ये व्यवस्था कर रहे गर, वही आप से छीन लिया जा रहा तो फिर ये सब कोई मायने नहीं रखता ।
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१४ जुलाई २०१७

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