रविवार, 30 जुलाई 2017

सुर-२०१७-२१० : श्रीरामचरित मानस के रचयिता की स्मृति मनाते आज हम ‘तुलसी जयंती’...!!!


पांच सौ साल पहले इस भारत भूमि पर ही एक ऐसी अ-सामान्य हस्ती ने जनम लिया जिसे अपनी कुछ पैदाइशी शारीरिक विसंगतियों की वजह से अपने माता-पिता का साथ तो मिला नहीं साथ ही समाज से भी स्नेह की जगह दुत्कार और प्रताड़ना मिली फिर भी इतने कष्टों व असहनीय अवस्थाओं को सहन करते हुये उसने किसी तरह अपने बाल्यकाल को व्यतीत किया और ईश्वर कृपा से गुरु प्राप्त हुये तो नामकरण व शिक्षा-दीक्षा का प्रबंध हुआ जिसमें उनकी असाधारण मेधा शक्ति ने बड़ा योगदान दिया कि उन्होंने अपनी बुद्धिमता व विलक्षण प्रतिभा से अपने संपर्क में आने वाले योगी-ज्ञानियों को प्रभावित किया जिसकी वजह से उन्हें वेदों-पुराणों का ज्ञान प्राप्त हुआ और जब युवावस्था में पहुंचे तो ‘रत्नावली’ नाम की कन्या से विवाह हुआ जो उनके जीवनकाल का सबसे महत्वपूर्ण सोपान साबित हुआ जिसके लिये उनका जनम हुआ था वो उद्देश्य उन्हें अपनी पत्नी की वजह से ही ज्ञात हुआ और उनकी प्रेरणा ही थी कि वो ‘रामबोला’ या ‘तुलसीराम’ जो अपने जन्म से अनभिज्ञ महज़ परिस्थितिवश साधारण जीवन जिया जा रहा था एकाएक ही जैसे उसके भीतर सुप्त ज्ञान दीपक जला उठा जिसने उनके अंतर को इस तरह से रोशन किया कि उसके प्रकाश से उसने समस्त जगत को आलोकित कर दिया और श्रीराम के जीवन का इस तरह से सरलीकरण प्रस्तुत किया कि एक बार पुनः राम को घर-घर में स्थापित कर दिया इसके अतिरिक्त ‘हनुमान चालीसा’ ने तो मानो चमत्कार कर दिया कि इस लघु ग्रंथ को हर किसी ने अपने बचपन से ही इस तरह से कंठस्थ कर लिया कि शायद ही कोई ऐसा हो जिसे ये याद न हो कि एक तो इसका प्रवाह दूसरा इसके स्मरण मात्र से रगों में होने वाले साहस का संचार इसकी अपार लोकप्रियता की नींव हैं जिसके कारण सभी इसे पसंद करते तो आज ऐसे महानतम कृतित्व के रचनाकार एक महान कवि, भक्त शिरोमणि और समाज-सुधारक तुलसीदास को उनकी जयंती पर शत-शत नमन... :) !!!
     
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

३० जुलाई २०१७

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