गुरुवार, 6 जुलाई 2017

सुर-२०१७-१८६ : न जाने क्या हुआ उसको ? पहले वो ऐसी तो नहीं थी !!!


भाभी, भाभी कहते हुये ‘रोमिल’ घर के भीतर घुसा लेकिन ‘समिषा’ ने न तो सर उठाकर उसकी तरफ देखा ही और न पहले की ही तरह मुस्कुराकर उसका स्वागत किया बल्कि उसी तरह सर झुकाये कमरे की सफाई करती रही तो उसे कुछ अटपटा-सा लगा और वो कुछ कहता कि तभी उसकी आवाज़ सुनकर भीतर से ‘भुवन’ आ गया तो समिषा भीतर चली गयी पर, उसने सुना कि रोमिल भुवन से शिकायती लहजे में कह रहा था कि यार, क्या हुआ मैं तीन साल पहले जब अमरीका गया था तब तेरी नई-नई शादी हुई थी और भाभी मुझसे कितना बात करती थी, हमेशा हंसकर स्वागत करती थी और कितने अच्छे से तैयार होकर रहती थी तरह-तरह के पकवान बनाती थी लेकिन आज तो लगा जैसे वो मुझे पहचानती ही नहीं एकदम बेजान-सी दिखाई दी नीरस उतरा हुआ चेहरा देखकर लगता ही नहीं कि ये वही चटर-पटर करने वाली, बात-बात पर हंसने वाली भाभी हैं आखिर क्या हुआ कुछ बता न ?

अरे यार, मैं क्या बताऊं, न जाने क्या हुआ उसको ? पहले वो ऐसी तो नहीं थी ?? पर, अब तो लगता जैसे बीमार हो डॉक्टर के पास ले गया तो बोला, डिप्रेशन में हैं पर, समझ में नहीं आता कि महारानी को किस बात का टेंशन, कमाना तो मुझे पड़ता हैं, ऑफिस मैं जाता हूँ ये तो ठाठ से घर में रहती ऐश करती हैं फिर भी सूख रही हैं और हमें देखो दिन-रात खटते हैं फिर भी एकदम फ्रेश और खुश रहते हैं लेकिन इनका तो जब देखो तब मुंह लटका ही नजर आता उसका जवाब सुनकर ‘समिषा’ सोचने लगी कि शादी के बाद उसके संजने-संवरने से लेकर उसकी हर छोटी-से-छोटी ख्वाहिश चाहे नये फैशन के कपड़े पहनने का शौक हो या मेकअप का सामान खरीदना या तरह-तरह के खाने बनाना या बाहर घूमना जाना उसकी हर बात, हर पसंद पर इतनी आपत्तियां दर्ज की गयी कि यदि वो लड़-झगड़कर अपनी उन पुरानी आदतों को बरकरार रखती तो कोई शक नहीं कि एक दिन बाहर तो नहीं घरवालों के द्वारा ही उसे कुलटा का दर्जा दे दिया जाता तो धीरे-धीरे खुद के मन को मारकर उनके अनुरूप ढलते-ढलते वो कैसी हो गयी खुद उसे ही नहीं पता और जिसने उसे ऐसा बना दिया वही कह रहा कि पता नहीं वो ऐसी क्यों हो गयी आखिर, कैसे हंसे-मुस्कुराये वो जब जीवन को चलाने वाली सांसें तो बची पर, आत्मा पहले ही मर गयी
                
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०६ जुलाई २०१७

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