‘शिमोना’ ने
जल्दी-जल्दी सारा काम निपटाया और तैयार होकर ‘मिराज’ की राह तकने लगी आज दोनों की शादी की सालगिरह
थी तो बाहर जाकर मूवी देखने के बाद डिनर के प्लान था इसलिये उसने समय से सभी कुछ
निबटा दिया था कि आने के बाद कोई काम शेष न रहे वैसे भी आज उसने ऑफिस से छुट्टी ली
थी तो ये तय था कि अब इतनी जल्दी उसे दुबारा मिलने वाली नहीं तो आज की शाम का वो
भरपूर उपयोग कर लेना चाहती थी । ‘मिराज’ को
लेट होता देख कॉल किया तो मोबाइल कवरेज एरिया के बाहर बता रहा था जिसे सुनकर उसे
लगा कि शायद, वो आ ही रहा होगा पर, जैसे-जैसे घड़ी की सुइयां आगे बढ़ने लगी उसकी
बेचैनी भी उसी तीव्रता से बढ़ रही थी पर, न ‘मिराज’ आया
और न ही उसका कॉल लगा ऐसे में उसका झुंझलाना लाज़िमी था लेकिन तभी उसकी बेस्ट
फ्रेंड ‘निक्की’ आ
गयी तो उसकी खिलखिलाहट और मजेदार बातों के साथ वो उस गुस्से को भूल गयी जो कुछ देर
पहले उसके जेहन के भीतर कुलबुला कर उसकी नसों में तनाव पैदा कर रहा था । तभी ‘निक्की’ बोली
यार, इतना अच्छा दिन हैं क्यों उसे यहाँ इंतजार में
बर्बाद कर रही चल अपन दोनों जाकर एन्जॉय करके आते ‘मिराज’ के चक्कर में कहीं ये यूँ ही बेकार चला जाये तो
‘शिमोना’ को
लगा कि ये अच्छा ऑफर हैं जिसे ठुकराना अपने मूड को बेवजह ऑफ करना ही हैं तो ‘मिराज’ को
एक मेसेज भेजकर वो ‘निक्की’ के
साथ घूमने चली गयी ।
जब रात को लौटी
तो देखा ‘मिराज’ सामने
गुस्से में भरा बैठा था और जैसे ही उसने ‘शिमोना’ को देखा मानो देर से रुका सैलाब फूट पड़ा उसने तंज
कसा, कर आई अकेले-अकेले मस्ती तो उसने भी जवाब दिया
और क्या तुम्हारा इतना वेट किया, तुम्हें कई कॉल्स किये पर, तुम्हारी कोई खबर ही नहीं ऐसे में जब ‘निक्की’ आ
गयी तो अचानक प्रोग्राम बन गया और हम चले गये उसमें क्या मैं नहीं चाहती थी कि आज
का दिन जाया हो और जो मेरा मिजाज बिगाड़ा उसका क्या वो चिल्लाया तो उसने कहा, एक का तो बिगड़ना ही था मैं न सही तुम ही सही
मतलब तुम्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं यहाँ अकेले बोर हो रहा हूँ अच्छा तो
तुम्हें तो बहुत फील होता जब मैं अकेले तुम्हारे इंतजार में यहाँ परेशान होती हजारों
दफा हमारे प्रोग्राम्स तुम्हारी वजह से कैंसिल हुये तब तो तुम्हें कोई फर्क नहीं
पड़ा फिर आज ही क्यों ? क्योंकि आज हमारी शादी की सालगिरह थी
जो हमारा दिन हैं जी, बढिया याद दिलाया आपने पिछले साल का
मैं याद दिला देती हूँ जब आप मुझे यहाँ छोड़कर अपनी सेक्रेटरी के साथ टूर पर चले
गये थे मैं तो फिर भी अपनी सहेली के साथ गयी थी तो तुम उस बात का बदला लेना चाहती
थी इसलिये ऐसा किया जी नहीं, मेरी सोच आपकी तरह नहीं वो पलटकर बोली
तो उसने कहा, फिर क्यों तुम्हें आज मेरा ख्याल नहीं आया ।
मैं देख रहा हूँ
आजकल तुम न तो मेरा खाने के लिये इंतजार करती, न
ही मेरे मूड के अनुसार कोई काम करती और न ही मेरी पसंद का ख्याल रखती यहाँ तक कि
तुम तो अब मुझसे कुछ पूछती भी नहीं बस, एक
मेसेज किया और जहाँ मर्जी चली जाती हो ‘मिराज’ ने अपनी तकलीफ़ बताई तो वो बोली, मैं तो कम से कम मेसेज करती ही हूँ तुम तो बिना
बताये ही जो चाहे करते, जहाँ मन करता जाते, मेरे हिसाब से तो तुम भी कोई काम नहीं करते तो
फिर मुझसे उम्मीद क्यों ? अरे, तुम
भूल रही हो कि हमारे समाज में पति को ये अधिकार कि वो अपना जीवन अपने हिसाब से
जिये लेकिन एक पत्नी का अपना कुछ नहीं वो हर बात के लिये पति पर निर्भर करती
इसलिये उससे ये उम्मीद हर पति की होती मैं कोई अनोखा नहीं उसने जवाब दिया तो ‘शिमोना’ के
सब्र का बांध भी टूट गया जिसे इतने बरसों से उसने रोक रखा था, बोली हो सकता तुम अनोखे नहीं लेकिन मैं हूँ जो
उस पुरातन जमाने के नियमों से नहीं चलती जहाँ पत्नी को पति की परछाई, दासी और न जाने क्या-क्या समझा जाता मैं
अर्धांगिनी होकर भी एक स्वतंत्र अस्तित्व जिसकी अपनी ख्वाहिशें हैं और जिन्हें यदि
तुम पूरा न करोगे तो मुझे पूरा करना आता हैं देर से ही सही लेकिन, अब हम औरतों ने अपनी लाइफ का रिमोट कंट्रोल खुद
अपने हाथों में लिया हैं अब हम महज़ आईना नहीं जिसमें तुम अपना अक्स देखो और ये
कहकर वो अपने कमरे में चली गयी ।
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© ® सुश्री इंदु सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
२१ जुलाई २०१७
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