बुधवार, 26 जुलाई 2017

सुर-२०१७-२०६ : कारगिल विजय दिवस की कहानी... १८ साल बाद भी नहीं लगती पुरानी...!!!


कश्मीर भारत-पाकिस्तान के बीच एक ऐसा मसला जिसका कोई निदान नहीं तो विवाद के साथ-साथ यहाँ आये दिन युद्ध की स्थिति बनती रहती लेकिन जिस तरह से १९९९ के मई महीने में पाकिस्तानी सैनिकों व पाक समर्थित आतंकवादियों ने भारतीय सीमा का उल्लंघन करते हुये न केवल उसके भीतर प्रवेश किया बल्कि कई महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा भी कर लिया और भारत को लेह-लद्दाख से जोड़ने वाली सड़क पर भी नियंत्रण हासिल कर सियाचिन-ग्लेशियर पर भारत की स्थिति को कमजोर बनाकर उसकी राष्ट्रीय अस्मिता के लिए खतरा पैदा करना उनका उद्देश्य था तो उन्होंने हमारे ही देश में घुसकर हमारी ही जमीन पर हमको ललकारा तो फिर हमारे सैनिक भला किस तरह चुप रहने वाले थे उन्होंने उन विपरीत परिस्थितियों में भी जबकि दुश्मन उनसे अधिक ऊंचाई पर था तब भी अपने मनोबल व साहस को बनाये रखते हुए उनसे न केवल लगभग दो महीने तक संघर्ष किया बल्कि उनको उनकी औकात भी याद दिला दी कि यदि वे दोस्त बनकर धोखे से पीठ पर चाकू घोंपने वाली अपनी आदत से बाज नहीं आते तो फिर हम क्यों उनको धूल चटाने की अपनी आदत से बाज आये तो वही हुआ २६ जुलाई १९९९ को इस जंग की समाप्ति के साथ हमारे सैनिकों ने वापस अपनी जगह पर अपना अधिकार प्राप्त किया जिसमें हमारे कई जवानों को अपनी प्राणों तक की क़ुरबानी देनी पड़ी लेकिन उसके बावजूद भी वे पीछे न हटे बल्कि उनको ही पीछे हटा दिया तो आज उन्हीं हमारे शहीदों को नमन और श्रद्धांजलि की उनकी वजह से ही हम अपने घरों में सुरक्षित बने रहते तो ऐसे में हमारा भी फर्ज कि हम उनका स्मरण कर उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करे... !!!
            
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२६ जुलाई २०१७

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