सोमवार, 31 जुलाई 2017

सुर-२०१७-२११ : सावन का चतुर्थ सोमवार... शिव परिवार के सदस्य चार...!!!


यूँ तो ये समस्त संसार ही शिव का परिवार हैं जिसका ध्यान वे एक जिम्मेदार पालक जी भांति ही करते हैं उस पर भी यदि हम उनके खुद के परिवार की बार करे तो वो भी छोटा-मोटा नहीं क्योंकि उसमें सभी को स्थान दिया गया स्वयं शिव के ही शीश पर गंगा और चंद्रमा विराजमान रहते हैं तो गले में विषधर का निवास होता हैं और वाहन के रूप में नंदी सदैव उनके समीप रहते हैं याने कि वे कभी अकेले नहीं होते उसके बाद यदि ‘कैलाश’ पर नजर डाले तो वहां प्रकृति की हर एक शय नजर आती कि जिसे देखो वही उनके निकट रहने का प्रलोभन त्याग नहीं पाता तो नन्हीं चींटी हो या विशालकाय दानव या फिर जंगली जानवर सब वहां मिल-जुलकर रहते जबकि सबका स्वभाव एक-दूसरे के विपरीत लेकिन वहां सब मिलकर साथ रहते चाहे सांप या मोर हो या चूहा या नेवला या फिर शेर उनमें आपस में कोई बैर नजर नहीं आता बल्कि परस्पर सामंजस्य बनाकर वे साथ रहते यही वजह कि उनसे हमको भी विविधता में भी एकता का संदेश मिलता कि भले प्राणियों की प्रवृति एक-दूसरे से मिलती नहीं लेकिन जब वे किसी परिवार के सदस्य बन जाते तो फिर उनके बीच किसी तरह का वैमनस्य नहीं होना चाहिये और यदि किसी कारणवश ऐसी स्थिति आ भी जाये तो आपस में लड़ने-झगड़ने की बजाय सुलह का मार्ग निकालना चाहिये ताकि परिवार की एकता भंग न हो शायद, यही कारण कि शिवजी की फॅमिली को आदर्श माना जाता...

ये तो खैर उनके संपूर्ण परिजनों का विवरण हुआ जो उनके साथ कैलाश पर्वत पर रहते परंतु इसके अतिरिक्त भी उनका अपना एक व्यक्तिगत परिवार हैं जिसमें वे, आदिशक्ति पार्वती और उनके दो पुत्र गणेश व कार्तिकेय रहते और इस तरह से वे भी हम दो हमारे दो के उस सिद्धांत का आदिकाल से ही पालन कर रहे जिसे आज हम इस आधुनिक काल में अपना रहे जो दर्शाता कि परिवार में सबके लिये स्थान होना चाहिये उसके बाद भी अपना एक अलग कोना होना चाहिये जिसमें आपका अपना अस्तित्व अपनी पूर्णता के साथ नजर आये तो ये छोटा सा नजर आने वाला परिवार वास्तव में शिव के व्यक्तित्व का ही विस्तार हैं जहाँ वे हमें चार अलग-अलग रूपों में नजर आते हैं उसके अलावा उनका अपना भी एक पृथक अस्तित्व हैं जिसमें सारा ब्रम्हांड समाया हुआ हैं और यही विराट रूप उनका वो स्वरुप हैं जिसमें हम भी शामिल हैं तो उनसे जन्म लेकर हम अंतत उनमें ही विलीन हो जाते इसलिये इस जगत को शिवमय कहा जाता हैं और हर जगह, हर घर में किसी न किसी रूप में चाहे वो जगदंबा माँ हो या विनायक गणेश या फिर सदानंद कार्तिकेय असल में वे ही स्थापित दिखाई देते हैं और इस तरह चार सदस्यों का उनका ये परिवार कम्पलीट फॅमिली कहलाता जिसमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का इस तरह सम्मिश्रण होता कि उनमें एक अद्भुत संतुलन नजर आता जिससे वो धरती थमी रहती तो आज सावन के चतुर्थ सोमवार पर शिव परिवार के चार सदस्यों की महिमा का ही गुणगान... जय-जय भोलेनाथ... :) :) :) !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

३१ जुलाई २०१७

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