शनिवार, 1 जुलाई 2017

सुर-२०१७-१८१ : शुक्रिया, ‘डॉक्टर’... बीमारों के तुम रक्षक...


पहले तो फिर भी बच्चों का जन्म घर पर ही हो जाता था लेकिन आजकल तो सभी सुविधायुक्त और आर्थिक संपन्न लोग इस प्रक्रिया के लिये अस्पतालों का सहारा लेते तो इस तरह पैदा होते एक नवजात शिशु के रूप में प्रत्येक इंसान का पहला परिचय ‘डॉक्टर’ नामक उस शख्स से होता जिसे हमारे देश में भगवान का दर्जा भी दिया गया हैं क्योंकि हम सबको जीवन देने वाले उस अदृश्य ईश्वर को तो हमने नहीं देखा लेकिन हमें धरती पर लाने वाले इस साक्षात् प्रभु का तो अपनी हर तकलीफ़ में दर्शन करते और अपने दर्द की दवा पाते ऐसे में आज के दिन जिसे कि पूरे देश में ‘डॉक्टर्स डे’ के रूप में मनाया जाता अपने उस हमदर्द को ‘शुक्रिया’ कहना तो बनता हैं हालांकि कई ऐसे प्रकरण हुए जिसकी वजह से इस पेशे को भी शक की निगाह से देखा जाने लगा उसके बावजूद भी कुछ ऐसे चिकित्सकों ने अपनी निःस्वार्थ सेवा व लगन से अपने काम को इस तरह से अंजाम दिया हैं कि अभी भी इसने अपनी पूरी विश्वसनीयता नहीं खोई हैं और जब भी किसी को अपने किसी भी अंग में कोई भी पीड़ा महसूस होती तो वो तुरंत उसके जानकार डॉक्टर का पता लगा के उसके पास पहुँच जाता क्योंकि छोटी-मोटी तकलीफों को तो कोई भी नजरअंदाज कर देता लेकिन जब दर्द असहनीय हो तब डॉक्टर के सिवाय कोई दूसरा सहारा नहीं होता तो ऐसी स्थितियों में ‘अस्पताल’ ही सबका एकमात्र ठिकाना होते जहाँ हर बीमारी का इलाज़ किया जाता

१ जुलाई १८८२ को भारत के बिहार प्रान्त में ‘डॉ बिधान चंद्र’ का जनम हुआ जो आगे चलाकर एक महान फिजिशियन और बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी बने तथा उनकी सेवा भावना और काम के प्रति अटूट निष्ठा को देखते हुये देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’  से भी नवाज़ा गया था क्योंकि वे सिर्फ एक डॉक्टर ही नहीं संवेदनशील इंसान होने के साथ-साथ देशभक्त भी थे जिन्होंने गुलाम भारत को आज़ाद कराने की लड़ाई में हिस्सा लेकर अपना योगदान दिया और महात्मा गांधी के सतह असहयोग आंदोलन में भी सहयोग किया इस तरह वे एक कर्मठ स्वतंत्रता सेनानी की तरह भी अपनी भूमिका का निर्वहन पूर्ण ईमानदारी से करते रहे जो दर्शाता कि उनके भीतर पीड़ित मानवता के प्रति अथक सेवा का भाव था जिसने उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व स्थान दिलवाया वे प्रारंभ से ही पढ़ने में बेहद अच्छे थे और अपनी योग्यता से उन्होंने स्कॉलरशिप भी प्राप्त की तथा कलकत्ता के मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई कर अपने कर्मक्षेत्र के प्रति पूरी तरह से समर्पित डॉक्टर बने जिन्होंने डाक्टरी करने के साथ-साथ उस वक़्त की जरूरत को देखते हुये समाज के प्रति भी अपना दायित्व निभाते हुये समाज व देशसेवा में भी निरंतर योगदान दिया क्योंकि तब हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था तो उन्होंने उस समय के क्रांतिकारियों की मदद की और जब महात्मा गांधी या कोई भी क्रांतिकारी सत्याग्रह करता तब वे उसकी देख-रेख करते जिससे उनके मन में भी देशभक्ति की भावना हिलोरें मारने लगी और वे सक्रिय राजनीति का हिस्सा बन गये तथा आज़ादी के बाद कांग्रेस में शामिल होकर बंगाल के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे

उन्हीं के सम्मान में उनके जन्मदिन के दिन को पूरे देश में ‘डॉक्टर्स डे’ मनाया जाता है तो सभी डॉक्टर्स को उनके इस नेक काज हेतु बधाई व सभी लोगों को भी शुभकामनायें कि अव्वल तो उन्हें डॉक्टर के पास जाना ही न पड़े और यदि कभी जाना भी पड़े तो एक विश्वसनीय व सच्चे डॉक्टर से उसका सामना हो जो आपकी भावनाओं को समझते हुये आपके मन में बनी छवि को बरक़रार रखे... :) :) :) !!!     
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०१ जुलाई २०१७

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