सोमवार, 24 जुलाई 2017

सुर-२०१७-२०४ : सृष्टि के पालक और संहारक... त्रिनेत्रधारी कालों के काल ‘महाकाल’ !!!


आदिदेव भगवान् शिव का स्वरुप जितना मनोहारी और भोलाभाला हैं उतना ही विकराल भी हैं तभी तो जो कभी एक बेलपत्र या पुष्प मात्र से प्रसन्न हो जाते वही कभी किसी छोटी से बात से क्रोधित भी हो जाते हैं और यदि ऐसा हो जाये तो फिर इस संपूर्ण सृष्टि को विनाश से बचा पाना फिर सिवाय ‘शिव’ के किसी के लिये संभव न होगा जिसकी एक छोटी-सी झलक हम ‘केदारनाथ’ में होने वाली जल-प्रलय में देख भी चुके हैं कि किसी तरह उनके मंदिर को छोड़कर समूचा क्षेत्र जल निमग्न हो गया और फिर उनकी कृपा से वो पुनः स्थल में परिवर्तित हो गया इसके बाद भी कुछ लोग ईश्वर के अस्तित्व पर ऊँगली उठाते हैं तो उनकी बात सुनकर बहुत हंसी आती हैं क्योंकि जिसे खुद अपने होने पर ही विश्वास नहीं वही इस संपूर्ण जगत को बनाने व चलाने वाले परमपिता पर भी शंका करता हैं जबकि कण-कण में वो विद्यमान हर देह में वो सूक्ष्म रूप में बसे हुये जब हम उनके दर्शन आत्मा के मंदिर में नहीं कर पाये तो फिर कहीं न कर पायेंगे

ऐसे अनेक अवसर हम सबके जीवन में कभी न कभी जरुर आते जब हम उनकी उपस्थिति को महसूस करते हैं और मन से स्वीकार करते कि परमेश्वर इस संसार में मौजूद हैं जिनकी वजह से ये ही आज ये अनुभव हुआ चाहे फिर वो किसी दुर्घटना का टलना हो या फिर चाहे किसी मनोकामना का पूर्ण होना हो या फिर अचानक ही जो कल्पना में सोचा हो वैसा ही प्रत्यक्ष घटित हो जाना ऐसे अनेक प्रसंगों से हम ये मानने पर मजबूर हो जाते कि कोई न कोई अदृश्य शक्ति हैं जो जिसकी मर्जी के आगे हमारी सारी चालाकियां, हमारे सारे तर्क-कुतर्क और नास्तिकता धरी की धरी रह जाती हैं फिर भी यदि कोई खुद को उससे परे एक पृथक इकाई माने तो माने उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि हमारे मानने मात्र से हम उसके विश्वरूप से विलग न हो पायेंगे उसी से बने हैं तो उसी के द्वारा मिट जायेंगे यहाँ तक कि अपनी अनभिज्ञता को भी हम अपना अहं समझ खुश होते लेकिन वो भी उसका रचा हुआ खेला जिसका अहसास अंत समय तक हो ही जाता              

भगवान शिव का तीसरा नेत्र वो प्रलयकारी अस्त्र जो यदि कभी गलती से भी खुल गया तो ये पूरी कायनात कुछ ही पलों में समाप्त हो जायेगी इसलिये शिव की पूजा कर भक्त यही निवेदन करते कि वे सदा सब पर प्रसन्न रहे और आशीर्वाद दे कि ये सृष्टि यूँ ही गतिमान रहे इसलिये ही शायद, सर्वाधिक त्यौहार-उत्सव या पर्व शिव परिवार से जुड़े हुये हैं तो कभी नौ-दुर्गा तो कभी गणेशोत्सव तो कभी वैसाख, सावन आदि में उनका पूजन किया जाता जिसका उद्देश्य केवल इस संसार को विनाश से बचना हैं... आज तृतीय सावन सोमवार पर यही विनती कि उनका तीसरा नेत्र न खुले, सब पर कृपादृष्टि बनी रहे... बम-बम भोले... J !!!
  
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२४ जुलाई २०१७

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