जिंदगी की
आपाधापी और
एकरसता से जब कभी
बेहद उब जाती हूँ
अपने आपको
तब ले जाकर तन्हाई
के
घुप्प अंधेरों में
छूप जाती हूँ ।
.....
फेंक कर
दिल के सागर में
यादों के कंकर अनवरत
देखती रहती हूँ उसको
उठती हैं लहरें
बनते हैं अतीत के
चित्र
और... मैं डूब जाती
हूँ ।।
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© ® सुश्री
इंदु सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१५ जुलाई २०१७
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