सोमवार, 11 जून 2018

सुर-२०१८-१६१ : #सरफ़रोशी_की_तमन्ना_लिये #राम_प्रसाद_बिस्मिल_अंतिम_सांस_तक_जिये



सर फ़िदा करते हैं कुरबान जिगर करते हैं,
पास जो कुछ है वो माता की नजर करते हैं
खाना वीरान कहाँ देखिये घर करते हैं
खुश रहो अहले-वतन हम तो सफ़र करते हैं

ऐसी दुआ देकर वो नवजवान जिसकी उम्र महज़ तीस वर्ष ही थी इस दुनिया से अलविदा कर गया लेकिन, जो सपना उसकी आँखों ने देखा था उसे सच करने का पूरा बंदोबस्त कर गया और जो भी उसने कहा था या जो भी उसने दृढ संकल्प लिया था उसे हर हाल में पूर्ण किया क्योंकि, सरफरोशी की तमन्ना को हृदय में पालना ही उसका लक्ष्य नहीं था बल्कि, उसे साकार करना भी उसने ठाना था तो जब वक़्त पड़ा अपने बढ़े कदमों को पीछे नहीं खिंचा आखिर, वो लोग भारत माता के सच्चे सपूत थे अपनी माँ को गुलामी की जंजीरों में देखकर उनका खून खौलता था इसलिये उन्होंने शांति या अमन की बजाय क्रांति का मार्ग चुना ताकि, हम जल्द से जल्द आज़ाद हो सके

ये उन सभी नवजवानों के बलिदान का ही परिणाम कि आज हम सब अपने देश में अपने घर में निश्चिन्त होकर जी रहे पर, हमारी कृतध्नता तो देखो कि जिन्होंने हमारे लिये अपने प्राणों का बलिदान दे दिया उनके प्रति दो शब्द कहने या उनका स्मरण करने तक का हमारे पास दो पल का समय नहीं उस पर ये मानना कि उन्होंने अपनी जान देकर कोई अहसान थोड़े किया आज के नवजवानों की मानसिकता को दर्शाता कि एक वो युवा थे जिन्होंने अपनी मातृभूमि को जब परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ देखा तो अपना सारा जीवन उनको उस दासता से मुक्त करने में समर्पित कर दिया और एक ये आज के जवान जो मस्ती में इतने मशगूल कि उन्हें तो शायद, उन लोगों के नाम तक नहीं पता जिन्होंने उनको ये आज़ादी देने के लिये अपनी क़ुरबानी दे दी इन्हें तो अपनी मनमानी करने से फुर्सत नहीं

जिस देश ने उनके देश को गुलाम बनाकर रखा ये आज ख़ुशी-ख़ुशी उसी के गुलाम बनने तैयार उसी की संस्कृति को ओढ़कर अपनी पहचान खोने को तत्पर यदि कोई समझाये तो कुतर्क से उसकी धज्जियां उड़ाने में माहिर ऐसी पीढ़ी से ये उम्मीद नहीं लगती कि वो कभी अपने वतन के लिये अपनी जान दे सकती हैं उसे तो अपनी जिंदगी सिर्फ अपने लिये जीने की आदत दूसरों के लिये या भारत माता के लिये कुछ करने की कोई वजह नहीं समझ आती पर, उन लोगों ने ऐसा नहीं सोचा वो जानते थे कि वो स्वतंत्रता का भोग नहीं कर पायेंगे तब भी उन्होंने बेहिचक अपने आपको अपनी जन्मभूमि के लिये बलिदान कर दिया ऐसे क्रांतिकारियों की वजह से आज हमको ये दिन नसीब हुआ तो ऐसे में आज जब ऐसे ही एक महान क्रांतिकारी ‘राम प्रसाद बिस्मिल’ के जन्मदिवस आया तो उनके प्रति आभार व्यक्त करने का हमारा भी फर्ज बनता है

नौजवानों! जो तबीयत में तुम्हारी खटके
याद कर लेना कभी हमको भी भूले भटके
आपके अज्वे-वदन होवें जुदा कट-कट के
और सद-चाक हो माता का कलेजा फटके
पर न माथे पे शिकन आये कसम खाने को !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
११ जून २०१८

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