रविवार, 24 जून 2018

सुर-२०१८-१७४ : #मुगलों_की_शामत_बनी #गोंडवाना_की_रानी_दुर्गावती




दुर्गाष्टमी को जन्मी
रणचंडी दुर्गा का अवतार बनी
माता-पिता की लाड़ली ‘दुर्गावती’ कहलाई
अद्भुत तेज और सौंदर्य की धनी
शौर्य और पराक्रम की भी उनमें नहीं थी कमी
विपरीत परिस्थितियों आती रही
किसी से भी मगर, ‘दुर्गावती’ नहीं डरी
संभाल बागड़ोर शासन की
बुद्धिमता से राज्य की नई पहचान गढ़ी
दिया प्रजा को संबल ऐसा
देता कुशल कुम्हार घड़े को जैसा
पालक सम पालन किया
नहीं कोई कष्ट कभी उनको दिया
देखकर उनकी अपार संपदा
अप्रतिम सौंदर्य और कार्य-कुशलता
मुगलों की डोल गई नीयत   
करते रहे आक्रमण बार-बार लगातार
मगर, न हिम्मत उसने हारी
शत्रु पर हर बार पड़ती रही वो भारी
समझा जिसने अबला नारी
उसकी गई मति मारी
अपनी हिम्मत और वीरता से उसने
अंतिम साँस तक लड़ाई लड़ी
घायल होकर भी न दुश्मन के हाथ लगी
मार कटार खुद को मर गई
लेकिन, न बहादुरी पर आंच आने दी
नाम अपना सार्थक कर गई
‘रानी दुर्गावती’ मरकर भी अमर हो गई

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२४ जून २०१८

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