सोमवार, 18 जून 2018

सुर-२०१८-१६८ : #रोक_न_सकी_जिसके_कदम_मौत_की_खाई #ऐसी_थी_अद्भुत_हिम्मत_की_धनी_रानी_लक्ष्मी_बाई




कोमल थी कमजोर नहीं
सबला की परिभाषा नई गढ़ी
अदम्य शौर्य और पराक्रम से अपने
नारी की पारंपरिक छवि तोड़ी
माँ होकर भी खतरों से बिल्कुल न डरी
रण में एकदम कूद पड़ी
मृत्यु बनकर शत्रुओं की टूट पड़ी
अंतिम सांस तक लडती रही
भारी सेना देखकर भी न पीछे हटी
तलवार, बरछी, कटार सहेलियाँ थी उसकी
इशारे पर उसके नाचती रही
दे दिये प्राण मगर, न किसी के आगे झुकी
त्याग कर प्राण अपने रानी की झाँसी लक्ष्मी बाई
सदा-सदा के इतिहास में अमर हुई
वीरता-साहस से अपनी नारियों की प्रेरणा बनी
आज 'बलिदान दिवस' पर उनके
नम आँखों से से फिर उनकी कहानी पढ़ी ॥

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१८ जून २०१८

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