रविवार, 17 जून 2018

सुर-२०१८-१६७ : #पापा_की_प्रेरक_बातों_का_अहसास #जगाता_मन_में_कुछ_करने_का_विश्वास



माता-पिता दोनों का प्यार व मार्गदर्शन अगर बच्चे को मिले तो उसका पूर्ण विकास होता क्योंकि, जहाँ माँ बच्चे की छोटी-से-छोटी बातों को सुनकर भावनात्मक रूप से सहारा देती देती वहीँ पिता उसका मनोबल बढ़ाने व शख्सियत निखारने में मदद करता तो इस तरह से उसका आंतरिक और बाहरी रूप से संपूर्ण व्यक्तित्व उभरकर सामने आता और उनकी भूमिकाओं का भी उसके भावी जीवन पर प्रभाव पड़ता जिस तरह से उनका एक-दूसरे के प्रति परस्पर व्यवहार होता उसी तरह से उसके मन में अपने भविष्य की तस्वीर भी बनती हैं

यदि उसके पालकों के बीच आपसी सामंजस्य सही न हो या उनके रिश्तों का तालमेल गड़बड़ हो तो उनकी संतान उस नकारात्मक वातावरण में रहकर हीन भावना की शिकार हो जाती और कभी-कभी तो ये भी देखने में आता कि उसके भीतर आत्मविश्वास की कमी होती क्योंकि, रोज-रोज की घरेलू कलह से उसके मन में निर्णय लेने ही नहीं बल्कि, दुनिया का सामना करने की भी हिम्मत में कमी आती और रिश्तों के प्रति भी कहीं न कहीं आशंका घर कर लेती जिसकी वजह से अक्सर, वे किसी स्थायी बंधन में बंधने से डरते हैं

यूँ तो माँ एकाकी ही बच्चे का जीवन संवारने में सक्षम होती लेकिन, यदि दोनों अपनी निश्चित भूमिकाओं का निर्वहन कर उसका पालन-पोषण करते तो ऐसी संतान दोनों का बराबर साथ पाकर ऐसे बड़ी होती जिस तरह धरती व गगन के मध्य सही संतुलन से प्रकृति फलती-फूलती और अपनी जड़ें जमीन में जमाकर रखती तो उपर उठकर आकाश को भी छूती ऐसे ही बच्चे भी माँ की गोद में रहकर जहाँ अपनी धरातल से दूर नहीं होते वहीँ वे पिता के कंधे पर बैठकर कामयाबी की हर ऊँचाई को छूने की समर्थ रखते हैं    

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माँ की लोरी
पिता की थपकी
माँ की ममता
पिता का लाड़-दुलार
माँ की नसीहत
पिता की डांट-फटकार
माँ के संस्कार
पिता के जीवन मूल्य
माँ के कर्तव्य
पिता के पारिवारिक फर्ज़
माँ का ज्ञान
पिता का मार्गदर्शन  
दोनों का संतुलित व्यवहार
तय करता संतान का भावी जीवन
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अपने जीवन के हर एक क्षेत्र में पूर्णतया सफ़ल व्यक्ति के बैकग्राउंड में यदि हम झांके तो पायेंगे कि उसके सशक्त व्यक्तिव में उसके पारिवारिक पृष्ठभूमि की महत्वपूर्ण भूमिका होती जिसमें माँ अकेले ही नहीं पिता का भी योगदान होता और जब इन दोनों के दायित्वों का पलड़ा सम पर होता तो संतान का जीवन भी एकदम सधा हुआ होता इसलिये हर एक बच्चे के जन्म के आदमी को पिता बनने की अपनी भूमिका की तैयारी बहुत सोच-समझकर कर लेना चाहिये न कि माँ पर भार लादकर निश्चिंत हो जाये तभी तो पितृ दिवस पर हर एक बच्चा अपने पिता को सच्चे मन से कहेगा... हैप्पी फादर्स डे... ☺ ☺ ☺ !!!
               
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१७ जून २०१८

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