मंगलवार, 19 जून 2018

सुर-२०१८-१६९ : #माना_शादी_जरुरी_हैं #मगर_नहीं_मजबूरी_हैं



मंगली हैं...
मंगली हैं...
सुन-सुन कर
परेशां हो चुकी थी वो
तो उपाय बताया गया कि
करा दो किसी पेड़ से शादी इसकी
फिर न रहेगा व्यवधान कोई
सुनकर चीख पड़ी वो
नहीं करना शादी
माना कि वो जरुरी हैं
मगर, नहीं ऐसी न मजबूरी हैं
बिना ब्याह के क्या ?
खत्म हो जायेगा मेरा व्यक्तित्व
जबकि, मुझसे ही तो हैं
सारी दुनिया का अस्तित्व ।।

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१९ जून २०१८

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