मंगली हैं...
मंगली हैं...
सुन-सुन कर
परेशां हो चुकी
थी वो
तो उपाय बताया
गया कि
करा दो किसी
पेड़ से शादी इसकी
फिर न रहेगा
व्यवधान कोई
सुनकर चीख पड़ी
वो
नहीं करना शादी
माना कि वो जरुरी
हैं
मगर, नहीं ऐसी न मजबूरी हैं
बिना ब्याह के
क्या ?
खत्म हो जायेगा
मेरा व्यक्तित्व
जबकि, मुझसे ही तो हैं
सारी दुनिया का
अस्तित्व ।।
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
१९ जून २०१८
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