शुक्रवार, 15 जून 2018

सुर-२०१८-१६५ : #लघुकथा_मम्मी_का_डायपर




कायरा ने ऑफिस से लौटकर घर में कदम रखा ही था कि, भीतर से सासू माँ की जोर-जोर से बोलने की आवाज़ सुनाई दी तो मामला समझने के लिये वो दबे पांव दीवार से सटकर खड़ी हो गयी और खिड़की से झांककर देखा तो दोनों जेठानी मुंह झुकाये खड़ी थी और सासू जी गुस्से में उनसे कह रही थी...

किसकी हरकत हैं ये बोलो, अब मुंह में दही जमाये क्या बैठी हो ? माना कि वो राजकुमारी अभी-अभी इस घर में आई ज्यादा दिन नहीं हुये पर तुम दोनों को तो यहाँ बरसों-बरस गुजर गये फिर भी इस घर के रीति-रिवाज़ नहीं पता या उस महारानी की तरह खुद को भी अमरीका रिटर्न समझने लगी जो संस्कार भूलकर खुलेआम इस तरह की चीजों को कहीं भी पटक दो क्या ये नहीं पता घर में छोटे-छोटे बच्चे और तुम लोगों के देवर व ससुर भी रहते हैं ये सब देखकर वो क्या सोचेंगे कि बहुएं लाज-शर्म भूलकर इतनी मॉडर्न हो गयी कि अपनी माहवारी का यूँ खुलेआम प्रचार करती हैं

ये बात सुनकर उसे मामला समझ में आया कि सुबह जब वो ऑफिस को निकल रही थी तब अचानक उसे पीरियड आने का अहसास हुआ तो जल्दबाजी में पैड लेकर उसने पैकेट सोफे पर ही छोड़ दिया था जो शायद, सासू माँ के हाथ लग गया और उन्होंने सास-बहु सीरियल का एपिसोड बना दिया अभी वो अपने ख्यालों में लगी थी कि सासू माँ की फिर से जोरदार आवाज़ कानों में पड़ी जिसने उसके ख्याल की कड़ी को तोड़ दिया...

पैकेट को हाथ में उठाये उन्होंने चिल्लाकर कहा, कोई तो बोलो कि ये किसका हैं ? बैठक में क्या कर रहा हैं ? अभी कोई बच्चा आकर इसे उठ ले और पूछ बैठे कि क्या हैं तो क्या जवाब दोगी बोलो, बोलो...     

तभी उन आवाजों को सुनकर छोटी जेठानी का बेटा जो कमरे में सो रहा था बैठक में आ गया और ये सुनकर तपाक से बोल पड़ा, इसमें सोचना क्या बोल देना मम्मी का डायपर हैं जिस तरह हम बच्चों का होता मुझे तो अमरीका वाली चाची ने यही बताया था

ये सुनकर सब आश्चर्य से एक-दूसरे का मुंह देखने लगी और ‘कायरा’ ने चैन की साँस लेते हुये भीतर प्रवेश किया तो उसे देखकर दोनों जेठानियां मुस्कुराई और उन्हें लगा कि, कुछ सवालों के जवाब इतने भी कठिन नहीं होते जितने हम बना देते हैं वाकई न्यू जनरेशन स्मार्ट हैं

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१५ जून २०१८

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