मंगलवार, 26 जून 2018

सुर-२०१८-१७६ : #नशा_निरोधक_दिवस_नहीं_मनाना #नशे_का_हमको_नामो_निशाना_हैं_मिटाना




‘नशा’
कोई भी हो
होता बुरा ही हैं
फिर भी, न जाने क्यूँ ?
इंसान करता इसे
सबकी वजह अलग-अलग होती
कोई ख़ुशी में तो
कोई गम में इसे अपनाता
हर कोई कभी न कभी
इसका सहारा लेता
ये जानते-बुझते भी कि
होता नहीं अच्छा नशा कोई भी
खुलेआम बाज़ारों में बिकता ये हर जगह
हैं अगर जानलेवा तो फिर
क्यों नहीं इसकी बिक्री पर रोक लगती ?
क्यों नहीं इसे बनाना गलत हैं ?
क्या इसकी कमाई इतनी ज्यादा जरुरी हैं
कि, किसी की जान की कीमत पर
इसे खरीदा-बेचा जाये ?
सबसे अनमोल शय होती जिंदगी
पर, उसे बेचकर चंद
नशा रूपी मौत खरीदते हैं
आप अपने ही हाथों अपना गला घोटते हैं
क्यों नहीं ये बात समझते हैं कि,
जीवन एक बार ही मिलता
क्यों इसे नशे में गाफ़िल होकर खोना
चलो कुछ ऐसा करें कि,   
‘नशा निरोधक दिवस’ की जरूरत ही न पड़े
नशे को सदा के लिये ‘न’ कहे

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२६ जून २०१८

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