रविवार, 24 जून 2018

सुर-२०१८-१७३ : #लघुकथा_फेमिना_का_बेटा



 मम्मा, प्लीज आज तो बता दो कि मेरे पापा कौन हैं ?

क्यों ऐसी क्या जरूरत आ पड़ी कि आज बताना ही पड़ेगा ?

आप समझती क्यों नहीं मम्मा मेरे सब दोस्त के पापा हैं और उनसे मिलने भी आते बस, मेरे ही नहीं और मैं जब भी ये सवाल पूछता आप हमसे मना कर देती हो आखिर उसकी ही वजह बता दो प्लीज कुछ तो बता दो आखिर मेरे पापा थे भी या नहीं प्लीज, प्लीज, बता दो न सब मेरी हंसी उड़ाते हैं मुंह लटकाते हुये नन्हा रितिक बोला

उसकी बातों से वो सोच में पड़ गयी तो उसने धमकी भरे लहजे में कहा, यदि आज अपने नहीं बताया तो मैं आपसे बात नहीं करूंगा

उसकी इस जिद से ‘मायरा’ परेशान हो चुकी थी पर, जिस सवाल का जवाब खुद उसे नहीं पता वो ‘रितिक’ को कैसे बता दे क्योंकि, उसे याद ही नहीं बस, इतना पता कि जब वो उसकी कोख़ में आया उसके पहले उसका अपने पति से जबरन संबंध बनाने के कारण झगड़ा चल रहा था जिसकी टेंशन में उसने उस रात कुछ ज्यादा ही पी ली थी और फिर क्या हुआ उसे कुछ याद नहीं उसने तो सुबह खुद को एक अजनबी के बिस्तर पर पाया था और उसी दौरान उसका अपने बॉस के साथ भी अफेयर चल रहा था तो उसे कन्फ्यूजन था कि वो इनमें से किसकी औलाद हैं ?  

उसके कानों में अपनी माँ की आवाज़ गूंजने लगी, जब अपने आधुनिक ख्यालों व बेपरवाह वाली लाइफ की खातिर अपने पति को छोड़कर उसने अपनी मर्जी से जीने का विकल्प चुना था तो उन्होंने चिढ़कर कहा था, तू अपने कुतर्कों से मेरी जुबान तो बंद कर सकती हैं मगर, जब तेरी संतान तुझसे प्रश्न करेगी तब तुझे अपनी गलती समझ आयेगी कि यंग ऐज में तो सब सही लगता मगर, गलत हमेशा गलत रहता जिसे तर्कों से सच साबित नहीं किया जा सकता शायद, इसी दिन के लिये कहा था
  
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२३ जून २०१८

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