गुरुवार, 21 जून 2018

सुर-२०१८-१७१ : #योग_से_हो_हर_दिन_की_शुरुआत #बन_जायेगी_सबकी_हर_बिगड़ी_हुई_बात




बदलते परिवेश और जीवन शैली की वजह से हम प्रकृति से दूर होते जा रहे जिसकी वजह से बीमारियों के नजदीक होते जा रहे हैं ऐसे में प्रकृति से अपनाया गया ‘योग’ ही एकमात्र उपाय जिसे अपनाकर हम अपने शरीर को रोगमुक्त रख सकते हैं और पंचतत्वों से बने अपने तन को प्राकृतिक रख सकते हैं क्योंकि, कृत्रिमता हमारी सहजता-सरलता को ही नहीं हमारी स्वाभाविक वृति को भी असहज बना रही हैं जिसका भले अभी हमें अहसास नहीं लेकिन जब तक होता तब तक बहुत देर हो जाती हो और हम डॉक्टर की शरण में पहुंच चुके होते हैं

हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रकृति को गोद में रहकर जीवन के ऐसे रहस्य खोजे जिन्होंने उनको स्वस्थ सुंदर देह के साथ-साथ मानसिक सृदृद्ता ही प्रदान नहीं की बल्कि, दीर्घायु भी प्रदान की और सेहत के इन सूत्रों को उन्होंने अपने ग्रथों में भी सहेजकर रख दिया ताकि हम सब लंबे समय तक इसका लाभ ले सके परंतु, इनकी उपयोगिता को समझने की बजाय हमने इसे किताबों में ही रखा रहने दिया पर, अब जब घर-घर इसके महत्व को समझने लगा और विदेशियों ने भी इसे स्वीकार तो ये ‘विश्व योग दिवस’ बन गया जिसने एक बार पुनः हमें ‘विश्व गुरु’ के पद पर आसीन कर दिया ।

यूँ तो हमारे भी दिन की शुरुआत ‘योग’ से ही होती पर, आज विशेष दिन होने की वजह से लगभग पूरा दिन इसके सानिध्य में गुजरा और लगातार अलग-अलग स्थानों पर प्रशिक्षक के रूप में आयुष मंत्रालय से प्राप्त योग अभ्यास क्रम के प्रोटोकॉल अनुसार इसे कराने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ तो संपूर्ण शरीर नूतन ऊर्जा से भर गया और इसके द्वारा प्राप्त स्कारात्मका ऊर्जा ने बड़े दिन को और लंबा बना दिया ।

सभी अपने जीवन में प्रथम सुख निरोगी काया को पाने इसे न केवल अपनाये बल्कि दूसरों को भी इसके प्रति जागरुक करने कृत संकल्पित हो इसी के साथ सबको ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ की अनंत शुभकामनायें...☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२१ जून २०१८

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