गुरुवार, 11 अक्तूबर 2018

सुर-२०१८-२८२ : #विश्व_दृष्टि_दिवस_का_मिशन #दृष्टि_के_प्रति_जागरूक_बने_जन




भले, हमारे पास सब कुछ हो दुनिया का हर एक सुख, हर एक सुविधा पर, सब कुछ बेमानी होगा यदि आँखें ही न हो क्योंकि, यही ईश्वर की वो नेमत है जिनके होने से अभाव में भी कमी का अहसास नहीं होता इसलिये ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ ने अक्टूबर माह के द्वितीय गुरुवार को ‘विश्व दृष्टि दिवस’ घोषित किया

जिससे कि हम सभी लोग अपनी आँखों के प्रति सजग-सतर्क बने व उसकी सही तरीके से देखभाल के प्रति जागरूक बने जिसके बिन जीवन में अन्धकार के सिवाय कुछ भी शेष नहीं बचता फिर भी जिनको ये सहज ही प्राप्त वे अक्सर, इसके प्रति बेहद लापरवाह होते पर, जब उनमें तकलीफ़ होती या कम दिखाई देने लगता तो समझ आता कि आज केवल उनकी थोड़ी-सी लापरवाही ने उनको उस जगह लाकर खड़ा कर दिया जहाँ आने के बारे में उन्होंने कभी सोचा न था

याने कि आँखों के डॉक्टर के पास जो उनको बताता है कि अब उन्हें चश्मा लगाना ही पड़ेगा साथ ही अपनी आँखों का भी ध्यान रखना पड़ेगा अन्यथा सिर्फ चश्मे का नंबर ही नहीं बढ़ेगा बल्कि, घटती नजरों की रौशनी किसी दिन उनको अँधेरे की काल-कोठरी का स्थायी निवासी बना देगी अतः बेहतर न होगा कि हम उस दिन के आने के पहले ही सावधान हो जाये यही तो इस दिन को बनाने का उद्देश्य भी कि सभी लोग अपने शरीर के इस सबसे महत्वपूर्ण अंग के प्रति उतना ही सतर्क हो जितना कि इसका महत्व है

आज के तकनीकी युग में तो इसकी सर्वाधिक आवश्यकता है जब बचपन मोबाइल के साथ ऑंखें खोलता और जब तक वो बंद नहीं होती उसके साथ ही खेलता रहता यही नहीं उसके आस-पास भी यही नजारा देखने को मिलता कि हर कोई आँखें गडाये किसी न किसी गेजेट्स में व्यस्त नजर आता जिसका नतीजा स्वाभाविक तौर पर नजर की कमजोरी के रूप में सामने आता इसके बावजूद भी कोई समझ नहीं रहा

जबकि, उसके आस-पास जितने भी चेहरे नजर आते उनकी आँखों पर नजर का चश्मा चढ़ा दिखाई देता जो अमूमन एक चेतावनी होती सामने वाले के लिये कि संभल जाओ नहीं तो अगला नम्बर तुम्हारा होगा मगर, दूसरों को देखकर समझने वाले या दूसरों के अनुभव से लाभ लेने वाले कम ही होते ज्यादातर को तो लगता कि वे इतने समझदार जिन्हें कोई दूसरा कुछ भी नया नहीं बता सकता तो वे अपनी ही दुनिया में मगन रहते

इस तरह दिन-प्रतिदिन चश्मों की संख्या में बढ़ोतरी होती जाती यही सब देखकर ये निर्णय लिया गया कि इन अनमोल आँखों की सुरक्षा हेतु ज्यादा से ज्यादा प्रयास किये जाये ताकि, अंत समय तक व्यक्ति इस खुबसूरत दुनिया के अनुपम नजारों को जी-भरकर देख सके विश्व दृष्टि दिवस की इस सार्थक पहल के हम सब सहयोगी बने स्वयं ही नहीं दूसरों को भी जागृत करें कि “दृष्टि बचाने की दृष्टि विकसित करें... आँखों के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलें”... इसी कामना के साथ सबको इस दिन की बधाई... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
११ अक्टूबर २०१८

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