मम्मा,
प्रोजेक्ट बनाने में मेरी हेल्प कर दो न प्लीज़...
हाँ रिनी, बताओ
क्या प्रोजेक्ट वर्क मिला है तुम्हे स्कूल से ।
मम्मा, मैडम
बोली कि ‘विश्व डाक दिवस’ आ रहा तो सब लोग अपने-अपने घर से अपने फेवरेट टीचर्स के
नाम एक पत्र लिखकर लाना है जिसमें बताना है कि आप उनको क्यों पसंद करते है तो आप
मुझे बताओ कि मैं कैसे लिखूं इसे समझ नहीं आ रहा...
‘रिनी’ की बात
सुनी तो ‘आनंदी’ को लगा कि समय कितना बदल गया कल तक जिस खत के सहारे उसने अपने
सुनहरे दिन गुज़ारे आज वही अतीत बन गया खुद उसे याद नहीं कि उसने आखिरी बार खत कब
लिखा था तो वो उसे जमाने में खो गयी जब वो अपनी सहेलियों को प्यारे-प्यार पत्र
लिखती थी और उन्हें पोस्ट करते ही जवाब का इंतजार चालू हो जाता और रोज डाकिये से
एक ही सवाल, “क्या मेरे लिये कोई चिट्ठी आई है” ?
अगर, वो
निकालकर दे दे तो पैर जमीन पर न टिकते बस, एक कोना पकड़ा और फटाफट उसे पढ़ना शुरू कर
दिया एक बार में तो मन नहीं भरता तो बार-बार लगातार फिर झटपट उसका प्रतिउत्तर
लिखने बैठ जाते बेसब्री का वो आलम हर खत के आने तक बरकरार रहता था । जो बात दो-चार रूपये के उस कागज के उस पुर्जे में होती थी वो आज चालीस-पचास
हजार के मोबाइल पर अलग-अलग इमोजी से सजाये मैसेज में नहीं मिलती देखते-देखते ही
पता न चला कब कागज-पेन की जगह स्क्रीन-कीबोर्ड ने ले ली और शब्दों के वो अहसास
तरगों में बदलकर अर्थहीन हो गये । जिन्हें न तो पढ़ने की बेताबी और न ही उसके
रिप्लाई का इंतजार अब तो फिल्मों से भी खतों के गाने और शायरी गायब हो गयी कभी
जिनके बिना फिल्म अधूरी मानी जाती थी । अब केवल स्कूल
के प्रोजेक्ट या इतिहास के पन्नों पर ही खतों के बारे में कोई जानकारी मिलती ये जनरेशन
तो इनसे अछूती ही रह गयी ऐसे में ये प्रोजेक्ट वर्क स्कूल में अच्छा चलाया गया । जिसकी वजह से ये बच्चे उस दौर की इस विरासत को महसूस कर पायेंगे, अपने
मन की बात लिखना सीख पायेंगे और वो उसको किस तरह से पत्र लिखना चाहिये बताने लगी ।
मम्मा लेटर तो
पूरा हो गया अब इसे लिफाफे में रखकर उपर टीचर का नाम और विषय लिख देती हूँ फिर कल
इसे पोस्ट कर दूंगी ।
रिनी, पोस्ट नहीं
करना अपनी मैडम को दे देना बस...
नहीं मम्मी,
आपको पता नहीं स्कूल में एक लेटर बॉक्स भी लगाया गया है जिसमें हम सबको अपने लिखे
हुये खत डालना है फिर एक सीनियर स्टूडेंट पोस्टमैन बनेगा और सब टीचर्स को उनके नाम
के खत बाटेगा ऐसा है हमारा ये ‘पोस्ट ऑफिस प्रोजेक्ट’ ।
अरे वाह, ये तो
बढ़िया है इससे तुम लोगों को इसका पूर्ण व्यवहारिक ज्ञान मिलेगा तो अब चलो जल्दी से
सो जाओ कल अपना पत्र लेकर जाना है न...
हाँ मम्मी, गुड
नाईट और ‘विश्व डाक दिवस’ की बधाई... ☺ ☺ ☺ !!!
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
०९ अक्टूबर २०१८
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