शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2018

सुर-२०१८-२८७ : #भारत_में_चल_रहा_अजब_खेल #हिन्दू_को_मिलती_जेल_और_ईसाई_को_बेल




Reporter ask to bishop :
What kind of fun you have in church ?
He replied : Nun.

ये भले एक जोक है लेकिन, सच्चाई कुछ ज्यादा अलग नहीं बस, अंतर केवल इतना है कि जब हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाया जाता तो सब चुप रहते मगर, दूसरे मजहब का नाम भी ले लो तो हल्ला मच जाता है उसी का परिणाम का जब 'केरल नन रेप केस' सुर्खियों में आया तो मीडिया हो या बॉलीवुड की बिकाऊ अभिनेत्रियां या फिर फेक फेमिना या मोमबत्ती गैंग या अवार्ड वापसी गैंग या फिर सेक्युलर गैंग किसी ने इस मामले पर चू-चां तक नहीं की इससे यही महसूस हुआ कि, उनके कानों में वकेवलही आवाज़ें या मसले जाते जिनका संबंध हिन्दू धर्म से हो उसके अतिरिक्त सभी तरह की घटनाओं पर उनके मुंह में टेप चिपक जाता, हाथों में हथकड़ियां बंध जाती और कान में रुई या ईयर फोन ठूंस जाता और सभी ज्ञानेन्द्रियाँ एकदम से काम करना बंद कर देती है

इसलिये जब किसी भी मुद्दे पर कोई शोर न हो, भीड़ न हो, कैंडल मार्च न निकले तो लोगों को लगता यूं ही कोई साधारण-सी बात होगी तो वे भी ध्यान नहीं देते इसका परिणाम कि दूसरे मजहब के लोग सिर्फ नौकरियों ही नहीं दुष्कर्म या अपराध में भी आरक्षण पाकर ऐश करते जबकि, हिन्दू धर्म का चोला पहनने वाले सब जेल में सड़ रहे बेल तो दूर सुनवाई तक न हो रही क्या इतना काफी नहीं ये समझने के लिये कि देश में बहुत कुछ विदेशी एजेंसियों द्वारा सुनियोजित तरीके से संचालित किया जा रहा है जिस पर पहले यकीन नहीं होता था पर, अब लगातार जब इस तरह के सभी मामलों की पड़ताल की तो यही समझ आया कि आप सब जो अपने बच्चों को ईसाई मिशनरीज संचालित स्कूलों में पढ़ाते उसी फीस से वे आपको कुचलने का प्लान बनाते

इसके साथ ही सबको बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का ब्रांडेड सामान ही चाहिए चाहे रुपया गिरते-गिरते खत्म ही न हो जाये हम सबके इसी अंग्रेजी भाषा व प्रोडक्ट के मोह के कारण इस तरह की स्थितियां निर्मित हो रही जिससे देश ही नहीं उसकी सभ्यता-संस्कृति खतरे में पड़ती जा रही है कोई भी ये सब देखने-सुनने को तैयार नहीं जिसकी वजह से इन स्कूल्स व आयातित उत्पादों की संख्या में दिनों-दिन इजाफा हो रहा और हर कम्पनी का टारगेट एकमात्र भारत देश ही होता जिसके दम पर वे फलती-फूलती पर, रुपया कमजोर होता है हर सर्वे में भारत ही पहला आता चाहे इंटरनेट चलाने वालों का हो या ऑनलाइन शौपिंग या फिर सोशल मीडिया में उपस्थिति या यु-ट्यूब पर विडियो देखना हो  

इन सबमें गौरतलब है कि, ईसाई मिशनरीज अपना काम इतने गुप्त तरीके से शांति से दीमक की तरह जड़ों में घुसकर करती कि जब आपके पांव के नीचे से जमीन खिसकने लगती तब आपको अहसास होता अन्यथा आप सोते ही रहते है इसलिए बेफिक्र होकर सोइये चादर तानकर पर, वे चौकन्ने होकर अपना काम कर रहे जिस पर आपकी चुप्पी ने ये साबित कर दिया कि आपको फर्क नहीं पड़ता वे अपने खरीदे बुद्धिजीवियों से कलम के जरिये आप पर हमला करवाये या आपके ही धर्म के संत-महात्माओं को जेल करवाये या फिर आपकी नाक के नीचे ही धर्म परिवर्तन करवाये आपकी इस सोने की आदत से भलीभांति परिचित वे तभी तो शातिर तरीके से जाल बिछाने में जुटे हुये है ।

ज्यादा पुरानी बात नहीं जब ‘कठुआ रेप केस’ प्रकरण सामने आया था जिसकी कितने व्यवस्थित तरीके से मार्केटिंग की गई थी कि टी-शर्ट, पोस्टर, कार्टून्स, जोक्स, पोस्ट्स, हिन्दू धर्म के खिलाफ माहौल यहां तक कि पीड़िता का नाम भी उजागर कर दिया गया था उस वक़्त तो हर किसी ने उसके नाम व चित्र के साथ अपने प्रोफाइल को सजा लिया यूं लगा कि अब इसके बाद तो किसी की हिम्मत न होगी दुष्कर्म करने की इस तरह से मामले को प्रायोजित किया गया (यहां प्रायोजक का नाम बताने की जरूरत नहीं यदि आप समझदार है और यदि नहीं तो जानकर ही क्या कर लीजिएगा) तो सभी नायिकाएं देवस्थल को इंगित करती तख्ती लेकर खड़ी हो गयी जिसमें साफ दिख रहा था इनका उद्देश्य पीड़िता को न्याय दिलवाना नहीं है और न ही उन्हें उससे सहानुभूति ही है अन्यथा अब तक तो उसके अपराधियों को फांसी पर लटक जाना था

चूंकि इसका संबंध कहीं न कहीं हिंदुओं से जुड़ा था तो इस तरह से हर किसी ने इस पर अपने विचार रखे मानो हिन्दू धर्म व उसके स्थान सब दुराचार के अड्डे और वे जीत गये क्योंकि, एक मासूम बच्ची के साथ हुए अत्याचार पर कोई पापी या शैतान ही विपक्ष में अपनी राय रखेगा तो सबने उनका साथ दिया किसी ने यदि नहीं भी दिया तो उनके खिलाफ न लिखा और न ही उनके आन्दोलन को कमजोर किया सबने आपत्ति केवल हिन्दू धर्म की खिलाफत करने पर जताई जिसे बेहद कुटिल तरीके से खारिज किया गया क्योंकि, उस समय उनका टारगेट यही था और कोई भी चालाक शिकारी कभी अपने लक्ष्य से नहीं भटकता जबकि, उसकी जेब में उसे निशाना लगाने को कहने वाले के दिये रुपयों की खनकार गूंजती हो तो वो उसके इशारों पर वही सब लिखता तो वो चाहता

यही सब बिकी हुई कलमों ने बखूबी किया और सबको जेल पहुँचवाकर ही दम लिया और इस तरह वे अपने षड्यंत्र में फिर कामयाब हो गए और हम खुर्राटे भरते रहे जब तक पानी सर के उपर न आ जाये या दुश्मन घर में ही न घुस आये तब तक कुछ भी करना बेकार है ऐसी सोच के साथ जीने पर हम अनेकों बार गुलाम बन गये लेकिन, इतिहास से कुछ न सीखे फिर ऐसे इतिहास को पढ़ने की जरूरत ही क्या जो हमें सतर्क, सजग व जिम्मेदार न बना दे हम तो आज़ादी पाकर यूं मतवाले हुये कि गुलामी को भूल गए तो ज्यादा दिन नहीं जब फिर से किसी के नुमाइंदे बन जाये किसी के आगे मजबूर होना पड़े उससे पहले जागना मना है वैसे ऐसा कहीं लिखा नहीं पर, क्या करें आदत से मजबूर है कुम्भकर्ण तो सिर्फ 6 महीने ही सोता था जबकि, हम तो 24*7 सोये ही रहते है ।

आपको इस तरह नेट व फालतू के मुद्दों में उलझाकर इतने चुपके-चुपके ‘केरल नन रेप  केस’ खामोशी से निपटा लिया गया कि जब आपसे इस बाबत पूछा गया तो आप यूं मुंह ताक रहे जैसे पता नहीं किस देश के किस मामले की बात हो रही है अभी  पिछले महीने 8 सितंबर 2018 को ही तो एक नन ने सात पेजों के पत्र में काफी विस्तृत और भावुक तरीके से अपनी आपबीती लिखी 'कैथलिक चर्च सिर्फ बिशपों और पादरियों की चिंता करता है हम जानना चाहते हैं कि क्या कैनन कानून में महिलाओं और ननों को न्याय का कोई प्रावधान है? चर्च की चुप्पी मुझे अपमानित महसूस करा रही है।' नन ने इसमें पूछा कि, ‘क्या चर्च उन्हें वह लौटा सकता है, जो उन्होंने खोया है’। इसके अलावा नन ने यह भी बताया है कि कब-कब उन्हें शिकार बनाया गया और कैसे उन्हें और उनके समर्थकों को चुप कराने की कोशिशें की गईं। गौरतलब है कि पहले भी बिशप पर नन और उनके समर्थकों को पैसे और संपत्ति देकर मामले को दबाने की बात सामने आई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि अपने इस खत में उन्होंने आरोप लगाया है कि बिशप ने पहले दूसरी नन्स के साथ भी ऐसा व्यवहार किया है।

मामला पूरा आईने की तरह साफ था जिसने साबित किया कि कोई देश हो या धर्म या कोई भी बस्ती आपका स्त्रीलिंग होना आपके यौन शौषण के लिए पर्याप्त है पर, जिनके एकाउंट में इस मसले को उठाने या इस पर लिखने को पैसा नहीं आया वो क्यों अपना समय व शब्द खर्च करेगा तो सभी फेक फेमिनाएँ चुप रही यहां तक कि केरल के एक विधायक पी.सी. जार्ज ने पीड़ित नन के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक और शर्मनाक शब्दो का इस्तेमाल करते हुए कहा कि इस बात में किसी को शक नहीं है कि नन वेश्या है। उसने 12 बार मजा लिया तो 13वीं बार यह बलात्कार कैसे हो गया ? जब उससे पहली बार रेप हुआ तो उसने पहली बार ही शिकायत क्यों नहीं की”? इसके बाद बिशप के बचाव में उतरा ‘मिशनरीज ऑफ जीसस’ और कहा कि, ‘हर रेप पीड़िता के लिए दोषी से घटना के बाद मिलना मरने के समान होता है, ऐसे में जिस रेप की बात हो रही है, उसके बाद भी वह (नन) बिशप के साथ 20 बार यात्रा पर क्यों गईं’? इतनी बड़ी-बड़ी व घटिया बातें सुनकर भी फेमिनाओं के कान पर जूं तक न रेंगा माना कि जूं नहीं होंगे पर जमीर/ईमान जैसी कोई चीज़ तो होगी पर सुना उसको बेचकर ही ये खिताब हासिल करती तो इस संस्था पर किसी ने उंगली न उठाई

यहां तक कि उन्होंने उस नन की फोटो सार्वजनिक कर दी तो उन्हें लताड़ा गया कि ये गलत है पर, कुठार रेप में पीड़िता का नाम-फोटो सब कुछ ज़ाहिर कर दिया गया था इसमें जिसको किसी साज़िश की बू नहीं आती वो धर्मात्मा शुद्ध आत्मा है पर, हम तो ठहरे पापी तो हमें ये सब अब देश व धर्म के खिलाफ एक गहरा षड्यंत्र प्रतीत होता है । इसके दरमियान ही एक बात देखने में आई कि चारों तरफ से ‘मी टू, मी टू’ की इतनी सारी व इतनी बुलंद आवाजें एक साथ आई कि उस एक नन की आवाज़ इसके बीच घुटकर या दबकर रह गयी जिसका नतीजा कि बिशप को न केवल बेल मिल गयी बल्कि, उनका जोरदार स्वागत भी किया गया और फिर उसके बाद खबर आई कि इस प्रकरण के एकमात्र गवाह रहे ‘फादर कुरियाकोस’ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गईं फादर कुरीयाकोस के भाई जोस कुरीयाकोस ने इसे हत्या बताते हुये आरोप लगाया कि नन यौन उत्पीडन केस में शिकायत करने के बाद उनके भाई को लगातार धमकियां दी जा रही थी।

आश्चर्य की बात कि इस बार भी सभी गेंग, मीडिया जो हिन्दू संतों के मामले में उनके ख़ुफ़िया ठिकानों से लेकर उनके परिजनों व प्रशंसकों तक पहुँच गये थे ये सब जानने के बाद भी अपने बिग बॉस के आदेशानुसार खामोश ही रहे एक ही तरह के दो केस और दोनो आरोपियों पर अलग कानुनी करवाई कहीं न कहीं ये दर्शाती कि ये संविधान, ये न्यायालय  सिर्फ सेकुलर और अल्पसंख्यकों का है आज देश में रोहिंग्या, राममंदिर, 370, घुसपैठिए, आतंकवाद, अनेक ज्वलंत मुद्दे हैं जिन पर न्यायालय संज्ञान लेते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं बल्कि, वे तो जातिवाद की आग भड़काने वाली या संवेदनशील मुद्दों के अलावा भारतीय संस्कृति को खंडित करने वाली याचिकाओं पर त्वरित प्रभाव से निर्णय दे रहे है क्या अब भी आपको लगता कि इन सबके पीछे कोई साजिश नहीं ?

इतने बड़े मामले के बाद न तो मीडिया ट्रायल हो रहा, न ही पोस्ट्स लिखी जा रही और यहाँ तक कि न तो कैंडल मार्च की जा रही या बॉलीवुड की सशक्त महिलायें तख्ती लिये खड़ी, न ही कहीं दबी आवाज़ में ही सही कोई कह रहा कि, “I am ashamed to be a Christian”. इतने शानदार खेल के लिये ‘बिग बॉस को बधाई तो बनती है... साथ ही इन सभी गेंग के इस बेमिसाल प्रदर्शन के लिये तालियाँ बजती रहनी चाहिये दोस्तों...
  
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२६ अक्टूबर २०१८

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