शनिवार, 6 अक्तूबर 2018

सुर-२०१८-२७७ : लघुकथा : व्यभिचार नॉट क्राइम



जल्दी, भागो यहाँ से पुलिस की रेड पड़ी है कोई कमरे के दरवाजे को ठोककर बोलते हुये गया ।

चमेली, ये तू मुझे कहाँ ले आई तू तो बोली थी यहाँ कोई खतरा नहीं तभी मैं तेरे साथ यहाँ आ गया अब क्या होगा ?

अरे साहब, तुम इतना डरता क्यों है ।
आने दो न पुलिस को चमेली इनसे निपटना खूब जानती है ।
मुझे इस पचड़े में नहीं पड़ना मैं तो चला तू कर तुझे जो करना है ।
ये कहकर उसने अपने कपड़े पहनने को उठाये ही थे कि पुलिस भीतर आ गयी उसे देखकर वो सकपका गया और अपने कपड़े लेकर तुरंत बाथरूम में चला गया ।

अरे चमेली, तेरे तो बड़े हौंसले बढ़ गये है तू अब तक टिकी हुई है जबकि, बाकी सब तो अपनी लंगोट सँभालते हुये भाग गये पुलिस ने अकड़कर उससे कहा ।

साहब, इसमें डरने की क्या बात मैंने सुना है कि व्यभिचार अब अपराध नहीं है और न ही सहमति से बनाया संबंध अवैध है तो फिर मैं भागूं क्यों ?
ये सब तेरे को कौन बोला...

क्यों साहब अपन न्यूज़ नहीं सुनती क्या या मोबाइल नहीं रखती अपुन को भी अपने मतलब की सब खबर रहती है ।

तो फिर समझ ले ये तेरे लिये नहीं वेश्यावृति अभी भी अपराध है पुलिस वाले ने विद्रूपता से हंसते हुये कहा ।
वाह साहब, व्यभिचार अपराध नहीं पर, वेश्यावृति है बताइये जरा क्या अंतर है दोनों में? खुलेआम व्यभिचार का लाइसेंस क्या सिर्फ विवाहित लोगों के लिये ही है अपुन जैसों के लिये नहीं ? मतलब वो घर-बाहर, ऑफिस जहाँ चाहे
कुछ भी करें उससे कानून का उल्लंघन नहीं होता क्यों ? मतलब शराफत का सारा ठेका अपुन ने ही ले रखा जो बिंदास सब कुछ करती फिर भी कानून की गुनाहगार क्यों, क्यों, क्यों ??? 
उसके सवालों का जवाब न पाकर कानून भी सोच में पड़ गया 
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© ® सुश्री इंदु सिंह 'इन्दुश्री'
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०६ अक्टूबर २०१८

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