रविवार, 28 अक्तूबर 2018

सुर-२०१८-२८९ : #वायरल_होना_अच्छा_है




महज़ एक दृश्य
आम ही सा था जो
लेकिन, इतना भी नहीं
गाहे-बगाहे ही दिखता
सडक के किनारे
जब कोई मजदूर स्त्री
पीठ पर लादे अपना बच्चा
या पेड़ तले साडी के किनारे बांध
बनाकर झुला झुलाती लाल
फिर भी अब से पहले
शिक्षित नारियों का यूँ दिखना
कल्पनातीत ही था
पर, जब से लांघी दहलीज़
इक मां ने करने पूरी
अपनी दिल की ख़्वाहिश
होकर आत्मनिर्भर
पाकर आर्थिक स्वतंत्रता
भूली नहीं वो
अपनी जिम्मेदारियां
कार्यक्षेत्र के अपने कर्तव्य
निभाना दोनों को संग-संग जानती
नई युग की आधुनिक नारी
चाहे हो मजदूर या फिर अधिकारी
पाकर नारीत्व की खुशियां
नहीं चाहती खोना एक पल भी
नहीं होना चाहती वंचित
उस एक भी मासूम अहसास से
जो मातृत्व को देते मायने
बनाते उसे सम्पूर्ण नारी
देखना चाहती पल-पल बढ़ते
नन्ही-सी जान को हंसते-मुस्कुराते
तो, रखती साथ वो हर जगह
जिगर का अपना टुकड़ा
देती उसे ममता का कोमल स्पर्श
स्नेह भरी उष्ण गोद
आँचल की दूध भरी छांव
जिसके तले पलता निर्भय बचपन
बेखौफ खिलखिलाता हुआ
बिल्कुल, ऐसा ही दिखाई दिया
वात्सल्यता का वो चित्र
तो पड़ते ही नजर
कर लिया कैमरे में कैद उसे
अजनबी फोटोग्राफर ने उसी क्षण
फिर इस वाल से उस वाल
इस समूह से लेकर उस समूह तक
होती रही वो फारवर्ड लगातार
सोशल मीडिया पर हुई वायरल
जिसने भी देखी वो तस्वीर
ठहर गयी उसकी नजर
घूमते-घूमते इधर से उधर सतत
पहुंची वो उस जगह तक
जहां जाकर मिली उसे सार्थकता
उसकी वो पहचान
जिसकी थी उसे दरकार
बिना मांगा इंतज़ार
पाया उस मां ने उसके जरिये
अपने घर के नज़दीक स्थानांतरण
तब पढ़कर वो खबर
आया मन में यही ख्याल
यदि कोई फोटो
या फिर कोई खबर
पहुंच जाए मंज़िल तक अपनी
तो, वायरल होना अच्छा है ।

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२८ अक्टूबर २०१८

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