मंगलवार, 13 जनवरी 2015

सुर-१३ : 'लोहड़ी की रात' !!!

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मित्रों...,

आ गई हैं
लोहड़ी की रात
आओ चलो
करें मिल कर याद  
जो बन गया इतिहास ।।

हमारे यहाँ जितने भी तीज-त्यौहार मनाये जाते हैं भले ही वो किसी भी धर्म विशेष से जुड़े हैं पर सबका अपना ही आध्यात्मिक और प्राकृतिक महत्व हैं जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता क्योंकि ये सब हमको बदलते मौसम की बदलती फिज़ा से जोड़ने के लिये एक सेतु की तरह तो होते ही हैं और हमारी जिंदगी में नीरसता की जगह उमंग की लहर के साथ-साथ नूतन ऊर्जा का समावेश भी कर देते हैं

इसलिये अपने सभी दुःख-तकलीफों को भूलकर यदि हम चंद पल को ही सही इसकी लहर में शामिल हो जाये तो पाते हैं कि हमारी मायूसियों का दबाब जो कुछ पल पहले तक हमें अपने साथ डूबा रहा था एकाएक ही सहनीय हो गया हैं हर उत्सव के पीछे की वजह को जानने पर हम पाते हैं कि ये हमारी कितनी अनमोल धरोहर को अपने में सहेजे हुये हैं और इनकी वजह से हम उस बीते हुए समय को न सिर्फ फिर से याद कर पाते हैं बल्कि खुद को अपनी उस सांस्कृतिक विरासत से भी एक बार फिर जोड़ पाते हैं

‘लोहड़ी’ तो वैसे ही सर्दी से कंपकंपाते लोगों की रगों में तपन का अहसास और लहू में नया  जोश लाता हैं... तो इस गर्मीले-जोशीले उमंग से भरे पावन उत्सव की सभी को ढेर सारी बधाइयाँ... :) :) :) !!!
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१३ जनवरी  २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री

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