शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

सुर-०२ : 'अंतरवीणा' का आगाज़' !!!

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मित्रों...,

कर लिया हमने
‘आभासी दुनिया’ का विस्तार
देकर अपने शब्दों को ऊंची परवाज़
नये साल में ‘ब्लॉग’ का किया आगाज़ 
लेकर आई आपके समक्ष ‘अंतरवीणा’ का साज़ ।।

बहुत दिनों से ये विचार मन में अंगडाई ले रहा था कि अपना भी एक ‘ब्लॉग’ बनाया जाये तो फिर बस, नूतन वर्ष में इस काम को अंजाम दे ही दिया इसकी शुरुआत करने के लिए ये मौका ठीक लगा... और इस तरह मेरे अपने व्यक्तिगत ‘अंतरवीणा’ नाम के इस ‘ब्लॉग’ की शुरुआत हुई जिसे आज मैं आप सबसे रू-ब-रू करवा रही हूँ

‘अंतरवीणा’ ये नाम मैंने बड़ी मुश्किल से इसके लिये चुन पाई या यूँ कहूँ तो ज्यादा उपयुक्त होगा कि मेरी अंतरात्मा ने मुझे सुझाया क्योंकि जो भी नाम मैंने सोचे सब ‘गूगल’ में पहले से मौजूद थे ऐसे में आँख बंद कर जब सोचा तो वीणावादिनी माँ शारदे ने ही मेरी ‘अंतरवीणा’ के तारों को भी झनझना दिया और इस तरह अनायास ही ये शीर्षक टाइप हो गया यूँ लगा जैसा उनका आशीर्वाद भी प्राप्त हो गया

अब लगता हैं जैसे ये मेरा अंतर्मन एक ‘वीणा’ की मानिंद ही तो हैं जिसके अहसासों के तारों को जब भी किसी विचार या किसी ख्याल ने छेड़ा हैं उसमें से ‘सृजन राग’ निकला हैं जिसने अपने स्वर से धमनियों में दौड़ते लहूँ को अल्फाज़ों में तब्दील कर दिया और उँगलियों के पोरों से वही तो कभी कोई ‘कविता’ या ‘कहानी’ बनकर निकला हैं

उम्मीद करती हूँ कि जिस तरह आपने मेरे लेखन को इस ‘आभासी दुनिया’ में सराहा और प्रोत्साहित किया हैं, वही स्नेह आप मेरी इस नवजात ‘अंतरवीणा’ को भी देंगे जिससे कि वो इसी तरह नवीनतम मधुर गीतों जैसी कृति रचती रहें... इसी विश्वास के साथ आपको ये ‘लिंक’ दे रही हूँ---


इस पर क्लिक कर इसका अवलोकन करें और अपने सलाह-मशविरा से मेरा मार्गदर्शन भी करें जिससे कि मैं इसमें सुधार कर सकूं... :) =D !!!  
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०२ जनवरी  २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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