बुधवार, 28 जनवरी 2015

सुर-२८ : "भारत के लाल... लाला लाजपत राय" !!!


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मित्रों...,

लाल-बाल-पाल
कहने को तीन नाम
लेकिन बनाई एक पहचान
आज भी वो हो न सके अलग
याद करो एक को आ जाते याद सब
जिसने भी देश की खातिर दे दी अपनी जान
करते हम उन सबको बारंबार याद और सलाम ।।

आज फिर इस देश के एक और लाल का जन्मदिवस हैं जिसने की आजादी की लड़ाई में अंतिम सांस तक अपना योगदान दिया और अंग्रेजों की लाठी सहकर भी अपने कदमों को कभी पीछे न हटाया बल्कि शेर की तरह दहाड़ कर कहा कि--- मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक चोट ब्रिटिश साम्राज्य के क़फन की कील बनेगी।  जब मन-वचन-कर्म से ईमानदार व्यक्ति कोई भी कथन कहता हैं तो ईश्वर उसके उस वचन की लाज रखता हैं इसलिये जब ३० अक्टूबर १९२८ को साइमन कमीशनका विरोध करते लालाजी फिरंगियों के आक्रमण से आहत होकर घायल हो गये और अपने अंतिम भाषण में ये बोले तो उनकी आवाज़ ने आसमान का सीना भी चीर दिया और उनकी इस असमय मौत ने देश के अन्य गर्म खून युवाओं के लहू में ऐसा उबाल लाया कि एक लालाजी के मरने अपर अनेक देश के लाल अपनी भारतमाता को स्वतंत्र करने अंग्रेजो की गोली अपने सीने पर झेलने सामने आ गये । 

लालाजी की आकस्मिक मौत से सभी स्तब्ध रह गये 'महात्मा गांधी' जी ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि--- "भारत के आकाश पर जब तक सूर्य का प्रकाश रहेगा, लालाजी जैसे व्यक्तियों की मृत्यु नहीं होगी वे अमर रहेंगे" तभी तो आज इतने सालों बाद भी हम उनको या उनके इस योगदान की भूल नहीं सके और जब-जब भी उनकी जयंती या पुण्यतिथि आती तो हमारी आँखें श्रद्दा से नम और ह्रदय उनकी स्मृति से अकुलाने लगता । वो इस भारतभूमि का काला इतिहासकहलायेगा जब इस धरती पर पश्चिम का शासन चलता था आर हम अपने ही देश में परायों की  तरह रहने को मजबूर हो गये थे । वो भी लगभग दो-सौ साल तक हमें इस असहनीय पीड़ा के बीच अपने दिन गुजारने पड़े लेकिन आख़िर कब तक कोई अपने ही घर में दूसरों को अधिकार करना देख पाता इसलिये स्वतंत्रता संग्राम की जो मशाल जला तो फिर उसने सबके अंतर में भी आज़ादी पाने की लौ जगा दी जिसके फलस्वरूप एक लम्बे संघर्ष के बाद हम अपनी ही भूमि पर खुलकर सांस लेने का अधिकार पा सके ।

हम उनकी शहादत का मोल तो किसी भी तरह चुका नहीं सकते इसलिये जब-जब भी देश के किसी सपूत का बलिदान दिवस आता तो उसे श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके प्रति अपने मनोभावों का प्रदर्शन तो कर ही सकते हैं तो आज पंजाब केसरीऔर देश के लाल लाजपत रायको उनकी जयंती पर कोटि-कोटि प्रणाम... आप का ये बलिदान सदैव हमारे दिलों में अंकित रहेगा आपकी चोट के निशान के दर्द को हम अपनी देह पर महसूस करेंगे और इसी तरह आपको अपनी शब्दांजली अर्पित करेंगे... नमन... :) :) :) !!!   
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२८ जनवरी  २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री

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