बुधवार, 14 जनवरी 2015

सुर-१४ : 'आई मकर संक्रांति' !!!

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मित्रों...,

सूर्य ने किया 
मकर राशिमें प्रवेश
फिर हो गया
शुभ कर्मों का श्रीगणेश
ये हैं धरा पर
बढ़ते हुये दिनों का संदेश ।।

आज से सूर्य देवता के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही ठण्ड का प्रकोप कुछ कम होने लगता हैं और सिकुड़ते हुये दिन अचानक ही थोड़े-से बड़े हो जाते हैं... ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन से सर्दी तिल-तिल घटने लगती हैं जिससे सभी को सुकून का एहसास होता हैं... हर जगह इस दिन को कुछ अलग-अलग तरीके से मनाया जाता हैं और इसके लिये कई तरह की जोश भरी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता हैं... कहीं पतंग से आकाश पट जाता हैं तो कहीं कुश्ती या मल्ल-युद्ध भी होता हैं और कहीं-कहीं गुल्ली-डंडा का खेल भी खेला जाता हैं... जो लोगों को नये जोश और उमंग से भर देता हैं  ।

तिल संक्रांति’ / ‘मकर संक्रांतिया उत्तरायणका यह पर्व सभी के लिये विशेष होता हैं क्योंकि इसके साथ प्रकृति में एकदम से बहुत परिवर्तन होता हैं जो सभी के जीवन में अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता हैं... इस परिवर्तन को सहजता से अपनाने के लिये सभी तरह से प्रयत्न किये जाते हैं और खान-पान के अलावा दान-दक्षिणा से इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता हैं... जिसके लिये प्रातःकाल जागने के साथ ही सभी लोग स्नान और प्रार्थना से इसकी शुरुआत करते हैं ताकि इस शुभ दिन का स्वागत कर सकल जगत के कल्याण लिये भगवान से दुआ कर किया जा सके और आगे आने वाले दिनों के लिये भी शुभकामना की जा सके... इस बार तो वैसे भी इसका ज्यादा असर १४ जनवरी के स्थान पर पंद्रह  को रहेगा तो कल सुबह हम इसी से दिन का आगाज़ करें... और सिर्फ अपने लिये नहीं बल्कि समस्त ब्रम्हांड के लिये उस परमपिता से प्रार्थना करें कि वो सबकी इच्छाएं पूर्ण करें सबकी खाली झोलियाँ भरें... तथास्तु... :) :) :) !!!  
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१४ जनवरी  २०१५

© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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