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मित्रों...,
सूरज-सा
दिव्यमान था
उसका व्यक्तित्व
रचा अद्भुत कृतित्व
रोशन कर गये
हम सबका अस्तित्व
वो हैं 'स्वामी विवेकानंद'
जिन्हें याद करते आज तक सभी ।।
मेरी नजर में ‘जनवरी’ की जो एक सबसे बड़ी ख़ासियत
हैं... वो हैं इस माह में मेरे मार्गदर्शक और प्रेरक ‘स्वामी
विवेकानंदजी’ का जन्मदिवस होना जिनके ऊर्जावान और सूरज से
प्रदीप्त व्यक्तित्व ने सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी सभी
युवाओं और ज्ञान पिपासुओं को अपनी परम दैदीप्यमान दिव्य ज्योत से रोशन कर उन्हें
जीवन जीने का वो पथ दिया जिस पर चलाकर आज भी असंख्य युवाजन अपना भविष्य संवारते
हैं । हम आज इतने बरसों बाद भी उनके इस धरा पर आगमन को ‘युवा
दिवस’ के रूप में मनाते हैं इसलिये आज से लेकर उनके जन्मदिन
तक के इस सप्ताह में, मैं आप सभी के सामने उनकी ज्ञानवाणी के
अकूत खज़ाने से चंद अनमोल नगीने एक श्रंखला ‘विवेकान्द
ज्ञानमाला’ के रूप में प्रस्तुत करने जा रही हूँ ।
एक सामान्य परिवार
में जन्मे ‘नरेंद्रनाथ दत्त’ के ‘स्वामी विवेकानंद’ बनने तक
का सफर बेहद छोटा हैं, जिसे यदि बरसों में नापा जाये तो ‘१८६३’ से लेकर ‘१९०२’ तक केवल चार दशक की एक अल्प अवधि का ऐसा दीर्घकाल जो एक बूंद के महासागर
में परिणित होने की विराट गाथा को खुद में समेटे हुये हैं । उनके इस संपूर्ण
जीवनकाल की एक और सबसे बड़ी विशेषता कि इतने कम समय में ही उन्होंने इस जगत को वो
दे दिया जो लोग लगभग सौ साल तक जिंदा रहने पर भी शायद ही संभव कर पाये ।इसके
अतिरिक्त जब हम उनकी जीवनी का अध्ययन करते हैं तो पाते हैं कि अपने इस पुरे जीवन
में केवल दस बरस ही में उन्होंने सभी सार्वजनिक जगत कल्याण हेतु कर्म किये जिसके
साथ उनका अपना अध्ययन, लेखन, सत्संग और
प्रवचन भी शामिल हैं । यही वजह हैं कि वे सारे युवाओं के लिये एक सर्वश्रेष्ठ नायक
हैं जिनके चरित्र में वो हर एक खूबी मिलती हैं जो एक युवा अपने आदर्श में देखना
चाहता हैं अतः सभी को उनकी कहानी से प्रेरणा मिलती हैं ।
वे भावी पीढ़ी के
लिये अपने ज्ञान-विज्ञान और हिन्दू दर्शन के बहुमूल्य ग्रंथ ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्मयोग तथा राजयोग
के अलावा असंख्य व्याख्यान, प्रेरक लेख, कवितायें, उपदेश और संदेश छोड़ गये हैं, जिनमें जिज्ञासुओं के लिये धर्म-कर्म नीति-निर्देश संबंधी सभी महत्वपूर्ण
पथ-प्रदर्शक उक्तियाँ मुश्किल भरे रास्तों में हौंसला देकर मार्ग दिखाने वाला
प्रकाशपुंज का भंडार भरा पड़ा हैं... अतः हम सभी इस सप्ताह में इनमें से चंद से
अपने जीवन को रौशन कर ले इसलिये इस अद्भुत ज्ञान माला की शुरुआत करने जा रहे हैं
जिसकी प्रथम किश्त आप सबके सामने हैं... लाये फिर अमरवाणी का वो संदेश... देकर गये
जो स्वामी विवेकानंद... :) !!!
०५ जनवरी २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह “इन्दुश्री’
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