शनिवार, 17 जनवरी 2015

सुर-१७ : 'चलो... ले आये 'चाँद'... !!!


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मित्रों...,

सुना हैं
रहता हैं उस पार
हम सबका प्यारा चाँद
तो क्यों न इक दिन
हम सब ले आये उसे इस पार ।।

भले ही ये महज़ कल्पना हैं लेकिन देखने से तो लगता कि हमारा साथी, हमारा हमराही, हमारा प्रिय चाँदहमसे बहुत दूर नहीं और हम चाहे तो लेकर एक कांच का टुकड़ा उसे अपने हाथ में ले ले या फिर चाहे तो एक प्याली में पानी भरकर उसे अपने नजदीक उतार ले और आँख बंद करें तो उसे अपने अंतर में समेट ले यानि कि एक रिश्ता जो बचपन से हमारा हैं उस आसमान में चमकते 'चाँद' से उसमें बहुत-सी यादें समाई हुई हैं । जब भी देखे उसे तो बहुत कुछ नज़र आता हैं और वो भी तो साक्षी रहा हैं हमारे कई खुबसूरत से पलों का उन लम्हों का जिनमें वो मूक दर्शक की भांति उपस्थित रहा और एक सच्चे मित्र की तरह हमारी उन अंतरंग बातों को सिर्फ अपने में ही रख अपनी वफ़ादारी का सुबूत देता रहा कि देखो मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ कभी ओझल हो भी जाऊं या मेरा आकार-प्रकार  बदल भी जाये लेकिन मेरी चाहत घटती या बढ़ती नहीं हैं ।
  
अब तक इस पर कई गीत, नगमें, गज़ल, रुबाई, नज़्म, कविता और न जाने कितने ही सारे अफ़साने लिखे गये हैं जो बताते हैं कि हम सबने उसे अपनी यादों में गिरफ्तार किया हुआ हैं और हमने उसे सिर्फ एक मित्र ही नहीं न जाने किन-किन संज्ञाओं से नवाज़ा हुआ हैं जिससे पता चलता हैं कि उससे हमारा बड़ा गहरा तालुक्कात हैं जो समय के साथ परिपक्व होता हुआ हमारी ही तरह बड़ा होता जाता हैं । इसलिये तो हम भी उसे अपनी उम्र के साथ अलग-अलग नामों से पुकारते हैं यानि कि एक चाँदही हैं जिसे हम सबने अपने जीवन में किसी-न-किसी रूप किसी न किसी रिश्ते से जोड़कर रखा हैं तभी तो हमारी ख्वाहिश भी होती हैं उसे पाने की  अपने साथ लाने की जिससे कि हम उसे नज़दीक से देख सके आमने-सामने चंद बातें कर सके और फिर उसे बता सके कि वो हमारे लिए कितना जरूरी हैं जब कोई भी हमारे साथ नहीं होता तब भी उसने हमारा साथ दिया हमारी बातों को ख़ामोशी से सुना हमारे आंसुओं को अपनी ओंस की चादर में समेट लिया ।

चलो दिलदार चलो चाँद के पार चलो... हम हैं तैयार चलो गाने की गुनगुनाते हुये चलो हम सब एक बार उस पार चलकर देखें कि वो भी कितना अकेला और तन्हां हैं और फिर प्रीत की मजबूत डोरी से बांधकर उसे अपने साथ ले आये... तो फिर चलो चले उस पार जहाँ रहता हैं सिर्फ़ चाँदमेरा, तुम्हारा और हम सबका... प्यारा... प्यारा... :) :) :) !!! 
  
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१७ जनवरी  २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री

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