मंगलवार, 21 जुलाई 2015

सुर-२०२ : "बेटा, 'सेल्फी' तो ले ले रे... पर, जान मत दे दे रे...!!!"

नज़ारा
बड़ा दिलकश
हाथ में मोबाइल
फिर कैसे रोके खुद को ?
जब एक क्लिक पर
खिंच जाये तस्वीर
फटाफट पोस्ट कर उसको
‘सोशल मीडिया’ पर
मिले बहुत से ‘लाइक्स’
बन जाये ‘सेलेब्रिटी’  
हो जाये मशहूर
लेकिन...
देखना जल्दबाजी में
कहीं हो न जाये कोई चूक  
जो कहलाये अंतिम भूल
गड़े सीने में सदा बनकर शूल  
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मित्रों...,

घटना---०१ : यह घटना ‘कोसीकला’ के पास ‘मथुरा’ रेलवे ट्रैक की है और यह हादसा २७ जनवरी  २०१५ को सुबह करीब ०९:३० बजे हुआ जब चार छात्र चलती ट्रेन के सामने ‘सेल्फी’ क्लिक करके इसे ‘सोशल मीडिया’ साइट पर अपलोड करना चाहते थे लेकिन इस स्टंट में उनमें से तीन को अपनी जान गंवानी पड़ी और चार में से तीन दोस्त ट्रेन के नीचे आ गये जिनकी उम्र २० से २२ साल के बीच थी याने कि सभी युवा थे

घटना---०२ : ४ फरवरी २०१५ को ABP न्यूज़ में आई खबर के अनुसार ‘सेल्फी’ लेने का शौक अमेरिका के एक पायलट को भारी पड़ा और उसका छोटा विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इस हादसे में पायलट और विमान में सवार एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई ‘अमेरिका’ के जांचकर्ताओं ने बताया कि पायलट कॉकपिट में अपने मोबाइल से ‘सेल्फी ले’ रहा था और इसी वजह से वो दुर्घटनाग्रस्त हुआ

घटना---०३ : २३ मार्च २०१५ को ‘महाराष्ट्र’ के ‘नागपुर’ के ‘कुही इलाके’ में पिकनिक मनाने गये सात लड़कों की डूबकर मौत हो गई ये हादसा उस वक्त हुआ जब युवक नाव में ‘सेल्फी’ ले रहे थे । पुलिस के मुताबिक सभी युवकों की उम्र १८ से २५ साल के बीच थी । रविवार की छुट्टी के कारण ये लड़के पिकनिक मनाने गए थे तभी ‘सेल्फी’ निकालते समय नाव डूब गई क्योंकि नाव में बैठे लड़के ‘सेल्फी’ के लिये एक तरफ इकट्ठा हुये जिससे संतुलन बिगड़ गया । घटना कुही तहसील के वडसगाव की है दस लड़के पिकनिक मनाने गये थे जिनमें से सात लड़के डूब गये ।


घटना---०४ : 'जियो न्यूज' की रिपोर्ट के अनुसार ‘फैसलाबाद’ शहर में २३ जून २०१५ को एक १५ वर्षीय बालक ‘फरहान’ अपने दोस्त के साथ हाथ में खिलौना बंदूक थाम ‘सेल्फी’ ले रहा था तभी  पुलिस ने उसे अपराधी समझकर बिना चेतावनी दिए गोली चला दी पुलिस को बाद में जाँच करने पर पता चला कि बंदूक एक खिलौना थी और ‘फरहान’ पर गोली चलाने वाले पुलिस अधिकारी को हिरासत में ले लिया गया

घटना---०५ : आज २१ जुलाई २०१५ को ‘दैनिक भास्कर’ के प्रथम पृष्ठ पर छपी एक दर्दनाक घटना के अनुसार एक युवा महज़ २० साल का भरी बंदूक को कनपटी पर लगाकर ‘सेल्फी’ लेने की कोशिश कर रहा था कि अचानक गलती से ट्रिगर दब गया और देखते ही देखते वो खुद ही तस्वीर में बदल गया ।

देश-विदेश में ‘सेल्फी’ की वजह से होने वाले ये खतरनाक हादसे बताते हैं कि किस कदर लोग सुविधाओं के दीवाने और जूनून की हद तक पागल हैं जिसके कारण यदि जान से भी हाथ धोना पड़े तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता... इसकी वजह से ‘अमरीका’ के आंतरिक मंत्रालय द्वारा प्रकाशित एक पुस्तिका में चेतावनी दी गई है "एक बेहतरीन सेल्फी लेने के चक्कर में आपकी जान जा सकती है" और इस साल ‘रूस’ ने भी होने वाली घटनाओं के मद्देनज़र ‘सेफ सेल्फी’ लेने के लिये निर्देश जारी किये गये हैं... जिसके तहत लोगों को सेल्फी लेते समय कई सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है जैसे कि रेल पटरी पर, छतों पर चढ़कर, हाथ में बंदूक लेकर या किसी खतरनाक जानवर के करीब जाकर ‘सेल्फी’ लेने से मना किया है क्योंकि ‘रूसी’ पुलिस के मुताबिक पिछले साल वहां सेल्फी लेते समय १० मौतें हुईं और १०० से ज्यादा लोग घायल हुये... ‘सेल्फी’ लेकर उसे ‘सोशल मीडिया’ पर चस्पां करके लोगों के लाइकबटोरने की यह प्रवृत्ति कई बार घातक हो सकती है ।

उफ़... ये कैसा शौक या बोले पागलपन कि जिससे कुछ भी हासिल नहीं उसके पीछे इंसान अपनी इकलौती जान को यूँ ही बेवजह गंवा दे यार... ‘सेल्फी’ हैं क्या ???

अपने ही हाथों से ली गयी अपनी खुद की एक बेजान, बेजुबान तस्वीर ही तो हैं जो इतनी महत्वपूर्ण या कीमती तो नहीं कि उसके लिये कोई अपनी अनमोल जान ही मुफ्त में गंवा दे और उसके जाने के बाद उसके परिवार वाले रोते ही रह जाये... जब से मोबाइल फोन आये हैं लोग उसके प्रति ऐसे दीवाने हुये कि अपनी सेहत से ही खेल रहे थे और जैसे-जैसे उसमें नये-नये फ़ीचर जुड़ते गये लोग उतने ही उसके पीछे पागल ही होने लगे और जब से ‘सेल्फी’ के लिये विशेष तौर पर मोबाइल आने लगे तो उनकी ये सनक सर चढ़कर बोलने लगी और धीरे-धीरे इसने न जाने कितने युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया... ज्यादातर हादसे युवाओं के साथ ही इसलिये हुये क्योंकि उनके भीतर इसको लेकर जो बेइंतेहा जुनून हैं जिसके कारण वे कुछ भी नहीं सोचते और कुछ अनूठा या अनोखा करने के चक्कर में कुछ ऐसा कर जाते हैं कि अंत में उनका दुखांत सबको आश्चर्यचकित करता रह जाता हैं । न जाने ये किस तरह का शौक हैं कि जिस युवा शक्ति को अपनी ताकत अपनी सूझ-बूझ अपने कौशल का उपयोग अपने भविष्य के साथ-साथ अपने देश का नाम रोशन करने के लिये करना चाहिये वो उसे ‘इंटरनेट’ या ‘मोबाइल’ या ‘सेल्फी’ के साथ बिताने में बर्बाद कर रहे और उस पर कमाल ये हैं कि उनको ये अहसास भी नहीं भले ही अब हम आज़ाद हैं देश में कोई स्वाधीनता संग्राम या आन्दोलन नहीं चल रहा लेकिन इसका ये मतलब तो कतई नहीं कि जिस उम्र में इस देश के युवा जंगे आज़ादी के लिये अपनी जान गंवा शहीद हुए थे उस उम्र में हमारे युवा ‘सेल्फी’ लेने के लिये खुद को कुर्बान कर दे और उनकी ये शहादत किसी के काम भी न आये सही बात हैं न कि यदि मरने की इच्छा ही हैं तो फिर किसी सार्थक काम में उसका सदुपयोग करें न कि बेकार की फोटो खींचने में उसे इस तरह खर्च करें कि बाद में आपको याद कर के रोने वाला भी सोचे कि ये क्या कर दिया ???

हमारे देश में ही इसे सकारात्मक तरीके से भी इस्तेमाल किया गया हैं और ‘सेल्फी विथ डॉटर’ जैसे रचनात्मक अभियान की शशुरुआत की गयी तो अभी ‘जगन्नाथ रथयात्रा’ से युवाओं को जोड़ने के लिये भी इसकी एक प्रतियोगिता रखी गयी ताकि वे जवान लोग जो धार्मिक कृत्यों से दूर हो रहे हैं वो भी इसके करीब आ जाये तो फिर इसे गलत तरीके से प्रयोग करना सिवाय समय और जान की बर्बादी के और कुछ भी नहीं हैं । ‘इंटरनेट’ पर विभिन्न सामग्रियों का हिसाब-किताब रखने वाले एक संगठन ‘सिम्प्लीफाई 360’ के द्वारा जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार वर्ष २०१३ में दुनिया में जहां केवल 23.80 करोड़ ‘सेल्फी’ खींच कर ‘सोशल मीडिया’ के अलग-अलग मंचों (फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि) पर अपलोड की गई थीं वहीँ वर्ष २०१४ में इनकी संख्या लगभग तीस करोड़ जा  पहुंचीं जो अपने आप में इसके प्रति लोगों के रुझान को दर्शाती हैं । जो लोग अपने आस-पड़ोस या अपने परिवार वालो से ही अपरिचित हैं वो दुनिया भर के अनजान लोगों से तारीफ़ पाने की ख्वाहिश में इतने पागल हो जाये कि खाने-पीने, सोने-जांगने की बजाय सिर्फ पूरा समय ऑनलाइन बैठे अपडेट ही करते रहे जिसमें समय, जीवन के अलावा धन की भी तो बर्बादी होती हैं... और कुछ लोग तो इतने अमानवीय कि ‘लाश’ के साथ भी ‘सेल्फी’ लेने से बाज नहीं आते अभी हल में अख़बार में पढने आया कि अपने एक मित्र के अंतिम संस्कार पर गये अभिनेता ‘अमिताभ बच्चन’ को वहां पर मौजूद लोगों द्वारा सेल्फीलिया जाना पसंद नहीं आया और इस ७२ वर्षीय अभिनेता ने ‘सोशल नेटवर्किंग साइट’ ‘फेसबुक’ पर कहा है कि “लोगों की असंवेदनशीलता देख कर वह निराश हैं, जिनमें मृत और जीवित लोगों के प्रति कोई सम्मान नहीं है”...  अतः जरूरी हैं कि सही-गलत के साथ-साथ जरूरी-गैरजरूरी बातों में जल्द फर्क करना सीखे ।

हम ये नहीं कह रहे कि ‘सेल्फी’ लेना गलत हैं और इसमें जान ही जाती हैं पर, जिन स्थितियों में ऐसा हो सकता हैं वहां पर चौकस रहने की आवश्यकता जरुर हैं... यदि किसी भी चीज़ का सकारात्मक तरीके से उपयोग किया जस सकता हैं तो फिर उसे फ़िज़ूल इस्तेमाल करना बेवकूफी के अलावा कुछ नहीं... ‘बचपना’ और ‘बचकानेपन’ का ये अंतर जितनी जल्दी समझ आ जाये उतना ही युवाओं और देश के हित में हैं... इसलिये बेटा जी... अब ‘सेल्फी’ तो लो लेकिन सावधानियां रखना न भूलो... और यदि उसे सही तरीके से उपयोग में ला सकते हो तो वो करो... अभी भी देर नहीं हुई हैं... :) :) :) !!!     
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२१ जुलाई २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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