बुधवार, 8 जुलाई 2015

सुर-१८९ : "लघुकथा - व्यापम के साइड इफ्फेक्ट्स..."

___//\\___ 

मित्रों...,

:: Disclaimer ::

ये महज़ एक काल्पनिक कथा हैं... इसका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं... बस, यूँ ही बेकार बैठे-बैठे एक ख्याल कथा बन उभर आया... कृपया संजीदा न हो... =D


लघुकथा : ‘व्यापम’ बनाम ‘रोज़गार’
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

हेलो... क्या आप Dr. Arpit Tiwari from Indore बोल रहे हैं ???

उधर से आवाज़ आई... Yes... I am Dr. Tiwari speaking.

जी, हमने आपको ये केवल इत्तला देने कॉल किया था कि आपका नाम ‘व्यापम घोटाले’ की लिस्ट में हैं

उधर से आश्चर्यजनक स्वर उभरा... How it is possible ???

वो तो आप ही बेहतर जान सकते हैं हम तो केवल उस टीम के सदस्य मात्र हैं, जिसे इसकी जाँच करने नियुक्त किया गया हैं और यहीं से आपका नाम और नंबर देखा तो महाशय अब तैयार रहे आगे की कार्रवाई के लिये मेरे ख्याल से मैं जो कहना चाहता हूँ आप उसे समझ रहे हैं... Am I right Mr. Tiwari ???

अब उधर से एकदम शांत व मद्धम सुर में जवाब आया जी, आप जरा स्पष्ट कहें कि क्या कहना चाहते हैं... मैं समझा नहीं

अरे वाह... डॉक्टरी की पढाई और पेशा करने के बावज़ूद भी आप इन बातों के मायने नहीं समझते तो ठीक हैं साफ-साफ ही बताते हैं ज़ाहिर हैं... आप अपना धंधा बंद करना तो हर्गिज़ न चाहेंगे तो ऐसी स्थिति में उसके ऐवज में ज्यादा नहीं बस, थोड़ा-सी फ़ीस हमें भी भिजवा दीजिये डॉक्टर साहब

जिस तरह से इन दिनों ‘व्यापम’ शब्द खौफ़ और मौत का पर्याय बना हुआ हैं ऐसे में यदि किसी के पास इस तरह का फोन आये तो ज़ाहिर हैं कि वो बिना कुछ सोचे-समझे या उसकी जाँच-पड़ताल किये बिना ही सामने वाले की हर बात मानने को राज़ी हो जायेगा और वही ‘डॉ तिवारी’ के साथ भी हुआ

इस एक झूठी कॉल ने उसे इतना सहमा दिया कि उसने अगले की बात मानते हुये उसे उसकी मांगी रकम उसकी तय की गयी जगह पर चुपचाप भिजवा दी और इस तरह ‘व्यापम कांड’ की वजह से बेरोज़गार बैठे चंद अपराधी प्रवृति के शातिर दिमाग वाले लोगों ने इसे अपने लिये भी कमाई का जरिया बना लिया... तो सावधान रहें कहीं अगला नंबर आपका ही न हो... ;)        
______________________________________________________
०८ जुलाई २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
--------------●------------●

कोई टिप्पणी नहीं: