रविवार, 1 नवंबर 2015

सुर-३०५ : "मध्यप्रदेश स्थापना दिवस... देते बधाई संदेश...!!!"

नर्मदा
ताप्ती, महानदी की 
बहती यहाँ पर जलधारा
बसे कान्हा, पन्ना
माधव, चंबल अभयारण्य
पचमढ़ी, भेड़ाघाट
मांडवगढ़, मैहर, ओरछा
भीमबैठका, उज्जैन, दतिया
तरह-तरह के पर्यटन स्थल यहाँ
विंध्य, सतपुड़ा, कैमूर की
फैली पर्वत श्रृंखलायें
लक्ष्मीबाई, दुर्गावती, अहिल्याबाई
छत्रसाल, तानसेन, चंद्रशेखर आज़ाद
बढ़ाते ‘मध्यप्रदेश’ की शान  
भारत का यह हृदय
‘मध्यप्रदेश’ जिसका नाम हैं
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मित्रों...,

संपूर्ण ब्रम्हांड में अपनी विविधताओं के बावजूद भी एकता के लिये जाने वाले ‘भारत’ देश के दिल में जो धड़कता हैं वो हमारा ‘मध्यप्रदेश’ हैं और आज उसी का जन्मदिवस हैं तो हम सब निवासियों का ये फर्ज़ बनता हैं कि जिस भूमि पर हमने जन्म लिया जिसके अन्न, जल से हमारा विकास हुआ उसके प्रति अपना आभार प्रकट करें कि उसने हमें ये अवसर दिया कि हम भी कभी उसके लिये कुछ कर अपनी मातृभूमि के ऋण से मुक्त हो सके वो ‘मिट्टी’ ही हैं जिससे हमारा निर्माण हुआ और वो भी ‘मिट्टी’ ही हैं जिसमें खेलकूद खा-पीकर हमारी वृद्धि हुई तो उसे भूलना हमारी कृतध्नता के सिवाय कुछ भी नहीं क्योंकि जहाँ भी हम पैदा होते उसके कण-कण से हमें लगाव होना स्वाभाविक हैं तभी तो मन में उसके लिये कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा होता और यही वजह हैं कि जिसने भी इस प्रदेश की माटी में कदम रखा उसने अपने कर्म से उसके नाम को विश्व परिदृश्य में उभारने में कोई कसर नहीं रखी तभी तो आज भी उनकी वजह से इसको सम्मान की दृष्टि से देखा जाता कि यही वो धरा हैं जहाँ पर रानी लक्ष्मीबाई ,रानी अहिल्याबाई और रानी दुर्गावती जैसे वीरांगनायें हुई तो छत्रसाल, तानसेन, चंद्रशेखर, पंडित रविशंकर शुक्ल, तात्या भील, शंकरदयाल शर्मा जैसे ऐतिहासिक पुरुषों ने भी जनम लिया और इस भूमि पर आचार्य रजनीश, पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन, भवानी प्रसाद मिश्र, बालकृष्ण शर्मा नवीन जैसे कलम के धनी साहित्यकारों ने अपने सृजन से इसे नई ऊँचाइयाँ प्रदान की तो साथ-साथ उस्ताद आमिर खां, उस्ताद अल्लाउद्दीन खान, कुमार गंधर्व , कृष्ण राव पंडित और अब्दुल लतीफ़ खान जैसी संगीत को समर्पित हस्तियों ने भी अपनी कला के माध्यम से हरसंभव तरीके से नाम रोशन किया इस परिवेश की फिजाओं में घुली इनकी गाथा हम सबको प्रेरणा देती कि हम भी अपने राज्य के लिये कुछ कर सके तो कुछ अंशों में ही सही इसका कर्ज उतार सकेंगे... इसकी गौरव गाथा के पन्नों में भले ही हमारा नाम दर्ज न हो लेकिन अपनी नजरों में तो शर्मसार न होंगे कि महज़ अपने लिये जीने के अलावा हमने अपने देश, अपने प्रदेश को भी कुछ देने का प्रयास किया और फिर जब नियत साफ़ हो तो ईश्वर भी हमारी मदद करता हैं कुछ करने का ख्याल ही तन-मन में ऊर्जा के नये स्त्रोत खोल देता हैं

०१ नवंबर १९५६ को इस राज्य की स्थापना के साथ ही आज इसने आपने ६०वें वर्ष में कदम रख दिया और इसके साथ ही ये नित दिन दूनी और रत चौगुनी वृद्धि करें यही हम सबकी आज के दिन मंगलकामना हैं... :) :) :) !!!           
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०१ नवंबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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