मंगलवार, 24 नवंबर 2015

सुर-३२८ : "जागो नौजवान प्यारों... न किसी और को पुकारो...!!!"


हाथ में मोबाइल
कान में इयर फोन
पैरों में रफ़्तार
मुंह में पिज़्ज़ा-बर्गर
तन पर कसे हुये कपड़े
सर में तेज तनाव
दिल में तरह-तरह के डर
और जेहन में चिंतायें
फिर भी परेशां कि
कहीं पहुँचते क्यों नहीं
मंजिल मिलती क्यों नहीं ?
उम्र घटती क्यों जा रही
बीमारियाँ बढ़ती क्यों जा रही ??
जिंदगी रुक क्यों नहीं रही
समय की सुई भाग क्यों रही ???
अपने आस-पास ही रखे
सभी समस्याओं के समाधान
फिर भी जवाब हर जगह तलाश रहे
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मित्रों...,

अंकित, रीना, पायल, जियान, गीतिका, शोभना, रोहित किसी की भी उमर कोई ज्यादा नहीं सब ताजा-ताजा किशोरावस्था को पार कर नौजवानी की रंगीन दुनिया में प्रवेश करने वाली नई उमर की नई फसल हैं तो उनमें हर तरह के काम के प्रति जोश व उमंग होना चाहिये और हरदम हर नई चीज़ को सीखने उत्सुक पर, वे तो अपनी ही मुश्किलों में उलझे हैं और जिस तरह से वे अपनी मामूली सी परेशानियों को राष्ट्र की समस्या बना उन पर डिस्कस कर रहे लगता कि दुनिया में उसके सिवा कोई समस्या नहीं और उनका कोई हल भी नहीं तो जरा उनके पास चल उनकी बातें तो सुने तो समझ आये कि आखिर वे किस लिये इतने टेंस हैं---

अंकित--- यार, पता नहीं आजकल सारा दिन सर और कान में दर्द सा क्यों रहता और पता कुछ सुस्ती भी महसूस होती समझ नहीं आ रहा आखिर ऐसा क्यों ???

आपको पता नहीं तो बता दूँ ‘अंकित’ सारा दिन कान में इयर फोन लगाये रहता सोते समय भी और रात में तभी सोता जब मोबाइल ही थककर बंद हो जाता फिर भी उसे पता नहीं कि उसे ये सब कुछ क्यों हो रहा तो उसके दोस्त भी किस तरह बताये कि जिनके लिए ये सब कुछ बेहद सामान्य बातें हैं अब देखें उसकी दोस्त ने क्या जवाब दिया---

रीना--- यार, ये तो कुछ भी नहीं मैं तो परेशां हूँ कि सारी पॉकेट मनी इतनी जल्दी खत्म किस तरह हो जाती और ये लडकियों को तो देखो न जाने कहाँ से नये-नये ड्रेसेस ले आती इन्हें देख बड़ी जलन होती

रीना की एक बड़ी कमजोरी अन्य लडकियों की तरह ऑनलाइन शोपिंग की हैं जिसमें वो न जाने क्या-क्या अनाप-शनाप खरीद लेती फिर सारी शिकायत पॉकेट मनी को देती कि वही न जाने कहाँ गायब हो जाती हैं तो सुने अगले ने क्या कहा---

पायल--- अरे, तू तो पॉकेट मनी को रो रही वो तो फिर भी मैनेज की जा सकती लेकिन इस समय का क्या करूँ कमबख्त एक पल भी रुकता नहीं इतने टाइम-टेबल बनाती सब कुछ करती लेकिन फिर भी कोई काम न कर पाती अब बताओ ये ज्यादा बड़ी प्रोब्लम हैं या वो ???

वाकई, मनी से अधिक कीमती ‘समय’ होता जो कमाया नहीं जा सकता लेकिन क्या आप जानते हैं कि ‘पायल’ पूरे दिन करती क्या हैं तो हम बताते वो टाइम-टेबल तो खूब बनाती पर अमल किसी पर भी नहीं करती कि जैसे ही किसी सहेली की कॉल आये तो सब भूल गॉसिप में लग जाती और कहीं घूमने का प्रोग्राम बने तो फिर तो पूछिए मत कुछ भी न याद रहता लेकिन मन में सोचती कि घड़ी की सुइयां चलती क्यों रहती तो देखें कि इसे सुन उसके दोस्त की क्या प्रतिक्रिया रही---

जियान--- तू भी न सारा दोष टाइम को ही देना खुद कुछ न करना तुझे पता कि मैं क्या सोच रहा और किस बात ने मुझे परेशां किया हैं ये सबसे बड़ी समस्या हैं दोस्तों, तुम लोगों को कुछ खबर हैं कि मेरा ‘वेट’ अब सौ का आंकड़ा भी पार कर चुका हैं

उफ़, इसमें तो कोई दो राय नहीं कि ‘जियान’ की बात में दम हैं वाकई वजन बढ़ना ज्यादा बड़ी मुश्किल हैं पर, क्या सारा कुसूर हेल्थ का हैं ‘जियान’ का कुछ नहीं जो सारा दिन लैपटॉप से चिपका पड़े-पड़े फ़ास्ट फ़ूड खाता रहता पर उसे लगता कि सारी गलती वेट मशीन की हैं जो उसे बढ़ाकर वजन बताती हैं तो अब हम क्या कहे जो भी कहना हैं उसकी फ्रेंड ही कहे---

गीतिका--- धत तेरे की... तू भी न जिम तो जाता नहीं बस, वजन करता रहता सुन इसका तो फिर भी हल हैं पर, मेरी बात तो सुनो मेरे चश्मे का नंबर बढ़ता ही जा रहा अब तो गुस्सा आती कितना ध्यान रखूं क्या करूं कुछ समझ नहीं आता तुम लोग ही कुछ बताओ ???

ह्म्म्म... ये तो विकट समस्या हैं कि दिन-भर टी.वी. देखो किसी भी सीरियल का कोई एपिसोड मिस न होने दो मोबाइल पर भी आँखें गड़ा-गड़ाकर देखते रहो फिर ये पूछो तो कोई जवाब दे भी तो क्या हमारे पास तो नहीं पर उसकी सहेली के पास हैं शायद, तो सुने---

शोभना--- तू अपनी आँखों का रोना रो रही और यहाँ मेरे बाल झड़-झड़कर आधे ही रह गये और देख कितने सफेद भी हो गये समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं स्किन भी तो डल होती जा रही तो कोई टिप दो न फ्रेंड्स... प्लीज... 

सचमुच ये तो बेहद गंभीर बीमारी हैं देश की सबसे बड़ी समस्या जिसका जवाब तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं तो हम क्या बोले बस, इतना बता दे कि ‘शोभना’ को कॉस्मेटिक्स का बड़ा शौक हैं तरह-तरह के शैम्पू, प्रसाधन लगाती और सोशल मीडिया पर आने वाले हर तरह के नुस्खे सबसे पहले आजमाती जिस पर तो उसकी नजर नहीं लेकिन ‘स्किन’ और ‘हेयर’ को निहारती रहती तो ऐसे में हम तो चुप ही रहेंगे पर, उसके दोस्त की बात जरुर सुनेंगे---

रोहित--- मेरी प्रोब्लम तो मैं सबको बता ही नहीं सकता पर, तुम सब तो मेरे क्लोज फ्रेंड्स हो तो तुम लोगों से क्या छूपाना मुझे न रात को नींद नहीं आती और कुछ-कुछ होता हैं जब भी ‘सनी लियोने’ को देखता समझ नहीं पा रहा कि किससे पूंछूं ???

तो हमने समूह के सारे दोस्तों की बातें सुनी जिनके जवाब भी हम सबको पता हैं पर, उनको नहीं जिनके सवालों में ही हल भी छूपे हुये हैं सबकुछ सामने नज़र आ रहा हैं... सब कुछ पता हैं पर, हम ही अनजान बन सब देख रहे तो फिर दोष किसका... :( :( :( ???         
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२४ नवंबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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